भीम ने किया था इन 5 महारथियों का वध

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 7 मार्च 2020 (16:05 IST)
पांडु के पांच में से दूसरे पुत्र का नाम भीम था जिन्हें भीमसेन भी कहते थे। कहते हैं कि भीम में दस हजार हाथियों का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था। एक बार उन्होंने अपनी भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था। लेकिन वे हनुमानजी की पूंछ को नहीं उठा पाए थे। भीम को पवनपुत्र भी कहा जाता है। भीम का पुत्र घटोत्कच तो भीम से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरिक को सबसे महान था। भीम ने अपने जीवन में कई शक्तिशाली लोगों का अकेले ही वध किया था। आओ जानते हैं उन 5 महारथियों को जिनको भीम ने मौत के घाट उतार दिया।
 
 
1. जरासंध : भारत का सबसे शक्तिशाली सम्राट मगथराज जरासंध को मारना असंभव था। वह कंस का श्वसुर था। उसे वरदान था कि उसके कोई दो टुकड़े भी कर दे तो वह फिर से जुड़ा जाता था। भीम अर जरासंध का अखाड़े में भयंकर मल्ल युद्ध हुआ। भीम ने उसके कई बार दो टुकड़े कर दिए लेकिन वह फिर से जुड़ कर भीम से लड़ने लगता। भीम लगभग थक ही गया था। 14वें दिन श्रीकृष्ण ने एक तिनके को बीच में से तोड़कर उसके दोनों भाग को विपरीत दिशा में फेंक दिया। भीम, श्रीकृष्ण का यह इशारा समझ गए और उन्होंने वहीं किया। उन्होंने जरासंध को दोफाड़ कर उसके एक फाड़ को दूसरे फाड़ की ओर तथा दूसरे फाड़ को पहले फाड़ की दिशा में फेंक दिया। इस तरह जरासंध का अंत हो गया, क्योंकि विपरित दिशा में फेंके जाने से दोनों टुकड़े जुड़ नहीं पाए।
 

 
2. हिडिम्ब का वध : एक राज पांचों पांडव जंगल में सो रहे थे। जंगल में राक्षस हिडिम्ब का आतंक था। उसकी पु‍त्री हिडिम्बा से उसने कहा कि मेरे लिए किसी मनुष्‍य का गोश्त लाओ। हिडिम्बा जंगल में गई तो उसने भीम को देखा। भीम को देखकर वो मोहित हो गई और मन ही मन उससे विवाह करने का सोचने लगी। वह भेष बदलकर भीम के समक्ष प्रस्तुत हो गई और तभी वहां हिडिम्ब आ धमका।
 
 
उसने हिडिम्बा से कहा कि क्या अकेले ही इस हष्ठ-पुष्ठ मानव को खाना चाहोगी क्या? हिडिम्ब ने भीम पर हमला कर दिया। हिडिम्बा ने इस हमले में भीम का साथ दिया। फिर भीम और हिडिम्ब में भयानक युद्ध हुआ। अंत में हिडिम्ब मारा गया। फिर हिडिम्बा के बहुत निवेदन करने के बाद कुंती ने उसका विवाह भीम से कर दिया।
 
 
3. कीचक का वध : भीम ने मत्स्य वंश के राजा कीचक का वध किया क्योंकि उसने द्रौपदी के साथ दुर्व्यवहार किया था। अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव मत्स्य नरेश विराट की राजधानी में कंक, बल्लव, वृहन्नला, तन्तिपाल तथा ग्रान्थिक और सैरन्ध्री मान से निवास करते थे। वहां राजा विराट का साला कीचक अपनी बहन सुदेष्णा से भेंट करने आया। जब उसकी दृष्टि सैरन्ध्री (द्रौपदी) पर पड़ी तो वह काम-पीड़ित हो उठा तथा सैरन्ध्री से एकान्त में मिलने के अवसर की ताक में रहने लगा। यह बात द्रौपदी ने भीम (बल्लव) को बताई तो भीमसेन बोले- तुम उस दुष्ट कीचक को अर्द्धरात्रि में नृत्यशाला में मिलने का संदेश दे दो। नृत्यशाला में तुम्हारे स्थान पर मैं जाकर उसका वध कर दूंगा। भीम ने ऐसा ही किया।
 
 
4. दु:शासन का वध : द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने के लिए भीम ने युद्ध के दौरान दु:शासन की छाती फाड़कर उसका रक्तपान किया था। 100 कौरवों में से 97 को अकेले भीम ने ही मारा था। इसके आलावा अभिमन्यु को पीछे से मारने वाले दु:शासन के पुत्र दुर्मासन को भी उन्होंने ही मारा था। कर्ण के 9 पुत्रों को भीम, अर्जुन और नकुल-सहदेव ने मिलकर मारा था। भीम का कलिंगों और निषादों से भी युद्ध हुआ तथा भीम द्वारा सहस्रों कलिंग और निषाद मार गिराए गए थे। कौरवों की ओर से लड़ने वाले कलिंगराज भानुमान, केतुमान, अन्य कलिंग वीर योद्धा मार गए।

 
5. दुर्योधन का वध : युद्ध के बाद दुर्योधन कहीं जाकर छुप गया था। पांडवों ने उसे खोज लिया तब भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध हुआ। इस युद्ध को देखने के लिए बलराम भी उपस्थित थे। भीम कई प्रकार के यत्न करने पर भी दुर्योधन का वध नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि दुर्योधन का शरीर वज्र के समान कठोर था। ऐसे समय श्रीकृष्ण ने अपनी जंघा ठोककर भीम को संकेत दिया जिसे भीम ने समझ लिया। तब भीम ने दुर्योधन की जंघा पर प्रहार किया और अंत में उसकी जंघा उखाड़कर फेंक दी। वह खून में लथपथ होकर रणभूमि पर गिरा हुआ था। बाद में दुर्योधन की मृत्यु हो गई।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख