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महाभारत के ये 11 विचित्र रिश्ते-नाते, जानकर चौंक जाओगे

अनिरुद्ध जोशी
शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020 (18:34 IST)
रामायण और महाभारत में भारत का प्राचीन इतिहास दर्ज है। महाभारत में रिश्ते और उनके द्वंद्व, जिसमें छल, ईर्ष्या, विश्वासघात और बदले की भावना का बाहुल्य है, लेकिन इसी में प्रेम-प्यार, अकेलापन और बलिदान भी है। आओ जानते हैं महाभारत के ये 11 विचित्र रिश्ते जिन पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।
 
 
1. धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर : गंगा पुत्र भीष्म की प्रतिज्ञा के बाद शांतनु से सत्यवती को 2 पुत्र मिले। पहला पुत्र चित्रागंध रोगवश मारा गया और दूसरे पुत्र विचित्रवीर्य को जब कोई संतान नहीं हुई तो सत्यवती के पराशर से उत्पन्न पुत्र वेदव्यास के कारण विचित्रवीर्य की पत्नीं अम्बिका के गर्भ से धृतराष्ट्र जन्मे और अम्बालिका के गर्भ से पांडु का जन्म हुआ। इस बीच एक दासी से वेदव्यास के पुत्र विदुर का जन्म हुआ।
 
 
2. 100 कौरव : गांधारी को धृतराष्ट्र से जब कोई पुत्र नहीं हुआ, तब सत्यवती ने अपने पुत्र वेदव्यास को बुलाया और वेदव्यास के कारण गांधारी ने गर्भधारण किया। उनके गर्भ से 99 पुत्र एवं दु:शला नामक एक कन्या का जन्म हुआ। सोचिए वेदव्यास के कारण ही धृतराष्ट्र का जन्म हुआ था तब धृतराष्ट्र का 99 कौरवों से क्या संबंध हुआ?

 
3. कृष्ण की बुआ कुंती : महाराजा पांडु की पत्नी और 3 पांडवों की मां कुंती भगवान श्रीकृष्ण की बुआ अर्थात वसुदेवजी की बहन थी। कुंती को कुंआरेपन में महर्षि दुर्वासा ने वरदान दिया था जिसके चलते वह किसी भी देवता का आह्‍वान करके उनसे संतान प्राप्त कर सकती थी। आजमाने हेतु उन्होंने सूर्य का आह्‍वान किया और कर्ण को जन्म दिया। कर्ण को उन्होंने नदी में बहा दिया था। कर्ण को फिर एक अधिरथी और राधा ने पाला था।

 
4. पांच पांडव : पांडु की दो पत्नी थीं। कुंती और माद्री। कुंती ने धर्मराज से युधिष्ठिर, इन्द्र से अर्जुन, पवनदेव से भीम को जन्म दिया जबकि माद्री ने भी अश्विन कुमारों के साथ समागम करके नकुल और सहदेव को जन्म दिया। ऐसे में पांडु के पुत्र पांडु के कहां से हो गए। पांडु के पुत्र पांडु के नहीं थे उसी तरह धृतराष्ट्र के पुत्र भी धृतराष्ट्र के कहां से हो गए। धृतराष्ट्र का एक ही पुत्र था जिसका नाम युयुत्सु था।

 
5. द्रौपदी के पांच पति : द्रौपदी का अपने पतियों से रिश्ता भी अजीब था। महाभारत में द्रौपदी ही एकमात्र ऐसी स्त्री थीं जिसने 5 पुरुषों को अपना पति बनाया और सभी से उनको 1-1 पुत्र उत्पन्न हुआ।

 
6. श्रीकृष्ण के जीजाजी अर्जुन : महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण के सखा थे अर्जुन। लेकिन अर्जुन ने जब श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया तो वे उनके जीजा भी बन गए थे। बलराम, सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करना चाहते थे तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुभद्राहरण की सलाह दी।

 
7. श्रीकृष्ण का समधी दुर्योधन : श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं जिसमें से एक का नाम जामवंती था। श्रीकृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम साम्ब था। इस साम्ब ने दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से विवाह किया था। इस तरह दुर्योधन और श्रीकृष्ण दोनों एक-दूसरे के समधी थे।

 
8. वत्सला : अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी। बलराम की बहन सुभद्रा अर्जुन की पत्नीं थी। सुभद्रा के पुत्र अर्जुन ने बलराम की बेटी वत्सला से विवाह किया था। अभिमन्यु का एक विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से भी हुआ था। अब सोचिए सुभद्रा बलराम की क्या हो गई?

 
9. युयत्सु : धृतराष्ट्र का एक बेटा युयत्सु भी था। युयुत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था। दरअसल, धृतराष्ट्र के संबंध एक दासी के साथ थे जिससे युयुत्सु पैदा हुआ था। युयुत्सु ने अंतिम समय पर पाला बदलकर पांडवों का साथ दिया था।

 
10. इरावन की पत्नी बने श्रीकृष्ण : अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दी थी। बलि देने से पहले उसकी अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले। मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था। इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से न केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी।

 
11. बुआ की बेटी से विवाह : भगवान श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां में से एक मित्रविन्दा थी। एक दिन कृष्ण वन विहार के दौरान अर्जुन के साथ उज्जयिनी गए और वहां की राजकुमारी मित्रविन्दा को स्वयंवर से वर लाए। मित्रवृंदा अवंति के राजा जयसेन की बेटी (राजकुमारी) थी। उसके भाइयो के नाम विंद और अनुविंद थे। वो दोनों ही कौरवों के सभासद थे। पौराणिक मान्यता अनुसार मित्रविन्दा उनकी बुआ की बेटी थी। मित्रविन्दा भगवान श्रीकृष्ण को चाहने लगी थी। जब घर वालों को इसका पता चला तो उन्होंने उसका विवाह जबरन दुर्योधन से करना चाहा। दुर्योधन भी उससे विवाह कर अपनी राजनीतिक शक्ति बढ़ाना चाहता था। लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। श्रीकृष्ण और बलराम को इसके लिए कौरवों और मित्रविन्दा के भाइयों से युद्ध करना पड़ा था।

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