भारत के टॉप 10 ऐसे मंदिर, जहां भगवान या देवी-देवता की पूजा नहीं होती

अनिरुद्ध जोशी
महाभारत काल में कौरव और पांडवों ने कई शिव मंदिर बनवाए थे। लेकिन हम बात कर रहे हैं उन मंदिरों की, जहां पर देवी या देवता की नहीं बल्कि कौरव और पांडवों की पूजा होती है। हालांकि हिमाचल और उत्तराखंड में ऐसे कई मंदिर हैं, लेकिन यहां कुछ चुने हुए 10 मंदिरों की जानकारी।
 
 
1. शकुनि मंदिर : 
यहां दुर्योधन के मामा शकुनि का मंदिर है। यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले के मायम्कोट्टू मलंचारुवु में स्थित पवितत्रेश्वरम नाम से प्रसिद्ध है। शकुनि मंदिर के पास ही दुर्योधन का भी मंदिर बना हुआ है।
 
2. हिडिंबा मंदिर :
हिडिंबा मंदिर मनाली में बना हुआ है। यहां पर लोग आज भी प्रसाद के रूप में अपना खून चढ़ाते हैं। हिंडिबा भीम की पत्नी थीं जिसका पुत्र घटोत्कच था। 
 
3. कर्ण का मंदिर :
दानवीर कर्ण का ये मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सारनौल में स्थित है। ये मंदिर लकड़ियों से बना हुआ है जिसमें पांडवों के 6 छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं। इसके अलावा मेरठ में भी एक मंदिर है।
 
 
4. द्रौपदी मंदिर : 
भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक द्रौपदी का मंदिर है जो बेंगलुरु में स्‍थित है। यह मंदिर 800 साल पुराना है जिसका नाम धर्मराय स्वामी मंदिर है।
 
5. गांधारी मंदिर :
कौरवों की मां गांधारी का मैसूर में एक अनूठा मंदिर बना हुआ है। हालांकि इनके और भी मंदिर हैं।
 
6. भीष्‍म मंदिर :
भीष्‍म पितामाह का मंदिर इलाहाबाद के दारागंज क्षेत्र में है। यहां तीरों की शैया पर लेटी हुई भीष्म की 12 फिट लम्बी मूर्ति है।
 
7. बर्बरीक का मंदिर :
भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक का यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। इस मंदिर की प्रसिद्धि खाटू श्याम के नाम से है।
 
8. सहदेव का मंदिर :
हिमाचल के सोलन गांव में सहदेव का एक चमत्कारिक मंदिर है। इस मंदिर को महादेव के दूत के नाम से भी जाना जाता है। यहां एक गुफा में कभी-कभी ढोल-नगाड़ों की आवाजें भी आती हैं।  
 
9. इरावन का मंदिर :
नागराज कौरव्‍य की पुत्री नागकन्या उलूपी और अर्जुन का पुत्र इरावन था। देशभर के किन्नर इसको देवता मानकर पूजते हैं। इसकी याद में हजारों किन्नर तमिलनाडु के कूवागम गांव में एकत्रित होते हैं। यहां उनका एक मंदिर भी है।
 
10.युधिष्ठिर का मंदिर :
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में दक्षिण बस्तर जिला मुख्यालय से 72 किलोमीटर दूर तेलंगाना की सीमा पर स्थित पुजारी कांकेर नामक गांव में पांचों पांडवों के मंदिर हैं। इस मंदिर के अलावा गांव की सीमा पर युधिष्ठिर का मंदिर भी बना है।

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