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महाभारत के युद्ध में कौन था रथी और कौन महारथी, जानिए योद्धाओं की योग्यता का क्लासिफिकेशन

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, बुधवार, 14 दिसंबर 2022 (11:23 IST)
Maharathi: महाभारत को पंचम वेद कहा गया है। महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 100 कौरव और 5 पांडवों सहित उनकी सेना के बीच हुआ था। महाभारत में सिर्फ इस युद्ध का ही वर्णन नहीं है बल्कि इसमें धर्म, राष्ट्र, राजनीति, युद्ध, समाज, ज्ञान और विज्ञान की सभी बातें समाहित हैं। युद्ध की इस कथा के अंतर्गत युद्ध के प्रकार और योद्धाओं के कौशल के आधार पर उनका वर्गीकरण भी किया गया है। आओ जानते हैं उसी वर्गीकरण को।
 
योद्धाओं का क्लासिफिकेशन उनके शारीरिक बल ही नहीं उनकी अस्त्र और शस्त्र चलाने की क्षमता के आधार पर भी होता था। कुछ चुनिंदा योद्धा ही दिव्यास्त्र चलाने की क्षमता रखते थे। कहते हैं कि महाभारत में चुनिंदा योद्धा ही महारथी थी। आओ जानते हैं योद्धाओं के युद्ध कौशल के आधार पर उनकी प्रमुख 6 श्रेणियां।
 
1. अर्धरथी | Ardharathi: अर्धरथी यानी आधा रथी। अस्त्र-शस्त्रों के संचालन में कुशल यह योद्धा अकेले 2500 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। रामायण और महाभात के युद्धों में असंख अर्थरथी।
 
2. रथी | Rathi : 2 अर्धरथियों की शक्ति रखने वाला योद्धा करीब 5000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। 
 
यदि हम रामायण की बात करें तो इसमें खर, दूषण, तड़का, मारीच, सुबाहु वातापि आदि रथी थे। वानरों में गंधमादन, मैन्द एवं द्विविन्द, हनुमान के पुत्र मकरध्वज, को रथी माना जाता था। और यदि हम महाभारत के युद्ध की बात करें तो इसमें सभी कौरव, युधिष्ठिर, नकुल, सहदेव, शकुनि, उसका पुत्र उलूक, उपपांडव, विराट, उत्तर, शिशुपाल पुत्र धृष्टकेतु जयद्रथ, शिखंडी, सुदक्षिण, शंख, श्वेत, इरावान, कर्ण के सभी पुत्र, सुशर्मा, उत्तमौजा, युधामन्यु, जरासंध पुत्र सहदेव, बाह्लीक पुत्र सोमदत्त, कंस, अलम्बुष, अलायुध, बृहदबल आदि की गिनती रथी के रूप में होती थी। दुर्योधन 8 रथियों के बराबर का योद्धा था।
 
3. अतिरथी | Atirathi : अतिरथी यानी एक ऐसा योद्धा जो सामान्य अस्त्र शस्त्रों के साथ ही अनेक दिव्यास्त्रों का संचालन करना जानता हो और जो युद्ध में 12 रथियों, अर्थात 60000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता हो। 
 
यदि हम रामायण के योद्धाओं की बात करें तो इसमें अकम्पन्न, विभीषण, देवान्तक, नरान्तक, महिरावण, पुष्कल, अंगद, नल, नील, प्रहस्त अकम्पन, भरत पुत्र पुष्कल, विभीषण, त्रिशिरा, अक्षयकुमार, हनुमान के पिता केसरी, लव और कुश अदि अतिरथी थे।
 
और यदि हम महाभारत के योद्धाओं की बात करें तो शल्य, भूरिश्रवा, द्रुपद, सात्यिकी, कीचक, घटोत्कच, भीम, जरासंध, धृष्टधुम्न, कृतवर्मा, बाह्लीक, कृपाचार्य, शिशुपाल, रुक्मी, नरकासुर, साम्ब, प्रद्युम्न आदि अतिरथी थे।
 
4. महारथी | Maharathi : महारथी को सबसे उच्च माना जाता है। एक ऐसा योद्धा जो अस्त्र, शस्त्र के साथ सभी तरह के दिव्यास्त्रों को चलने में समर्थ होता था। इसे 12 अतिरथियों की शक्ति प्राप्त होती थी। यानी वह अकेले ही 720000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता था। यह योद्धा ब्रह्मास्त्र चलाने का ज्ञान रखता था।
 
यदि हम रामायण के योद्धाओं की बात करें तो भरत, शत्रुघ्न, अंगद, सुग्रीव, अतिकाय, कुम्भकर्ण, प्रहस्त, जामवंत आदि महारथी की श्रेणी में आते हैं और बाली, कर्त्यवीर्य अर्जुन और रावण को एक से अधिक महारथियों के बराबर माना जाता था।
 
और यदि हम महाभारत के योद्धाओं की बात करें तो अश्वत्थामा, भगदत्त, बर्बरीक, बभ्रुवाहन अभिमन्यु आदि महारथी थे। बलराव, द्रोण, कर्ण, भीष्म एवं अर्जुन को एक से अधिक महारथियों के बराबर माना जाता था। 
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5. अतिमहारथी | Atimaharathi : इस श्रेणी के योद्धा बहुत दुर्लभ होते थे। अतिमहारथी उसे कहा जाता है जो 12 महारथी श्रेणी के योद्धाओं अर्थात 8640000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध लड़ने की क्षमता रखता हो। जिसके पास तीनों महास्त्र- ब्रम्हास्त्र, नारायणास्त्र एवं पाशुपतास्त्र होते थे उसे अतिमहारथी माना जाता था।
 
यदि हम रामायण के योद्धाओं की बात करें तो भगवान श्रीराम अतिमहारथी थे। उनके अलावा मेघनाद को अतिमहारथी माना जाता था। पाशुपतास्त्र को छोड़कर लक्ष्मण को भी सभी दिव्यास्त्रों का ज्ञान था।
 
और यदि हम महाभारत के योद्धाओं की बात करें तो केवल भगवान श्रीकृष्ण को अतिमहारथी माना जाता था। हालांकि अर्जुन के पास पाशुपतास्त्र अस्त्र को चलाने की शक्ति भी थी इसीलिए उसे अतिमहारथी भी कहा जाता था। इसके अलावा भगवान परशुराम और रामदूत हनुमान भी अतिमहारथी हैं, जिनकी रामायण और महाभारत में भूमिका रही है।
 
इसी के साथ यदि हम भगवानों की बात करें तो भगावन वाराह, नृसिंह भगवान, कार्तिकेय, गणेश भगवान, इंद्र, सूर्य एवं वरुण देव को भी अतिमहारथी माना गया है। आदिशक्ति की दस महाविद्याओं, नवदुर्गा एवं रुद्रावतार, विशेषकर वीरभद्र और भैरव को भी अतिमहारथी माना जाता है।
 
6. महामहारथी | Mahamaharathi: अतिरथी से भी बढ़कर महामहारथी होता है। महामहारथी उसे कहा जाता है जो 24 अतिमहारथियों अर्थात 207360000 सशस्त्र योद्धाओं से युद्ध करने की क्षमता रखता हो। इस योद्धा के अधीन समस्त प्रकार की दैवीय एवं महाशक्तियां रहती हैं। ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव के अलावा आदिशक्ति ही महामरारथी हैं।

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