दशहरा रैली के दौरान शिवसेना के दोनों गुटों ने किया शक्ति प्रदर्शन

Webdunia
शनिवार, 12 अक्टूबर 2024 (22:16 IST)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने राज्य विधानसभा चुनाव नजदीक होने के मद्देनजर शक्ति प्रदर्शन करते हुए शनिवार को मुंबई में दशहरा रैलियां आयोजित कीं।
ALSO READ: नायब सिंह सैनी का शपथ समारोह 17 अक्टूबर को, इन्हें मिल सकती है नई सरकार में जगह
शिवसेना (यूबीटी) दादर के ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में अपनी वार्षिक रैली कर रही है, जबकि शिंदे को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अपने गुट को संबोधित करना है। गुरुवार रात की भारी बारिश के बाद दोनों स्थानों पर कीचड़ हो गया है।
ALSO READ: क्रिकेटर अजय जडेजा होंगे जामनगर राजघराने के वारिस, जाम साहब ने किया ऐलान
सूत्रों के मुताबिक शिंदे की रैली की तुलना में उद्धव ठाकरे की रैली में समर्थकों की संख्या ज्यादा है। शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद शिंदे ने अपनी पहली दशहरा रैली बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में की थी। हालांकि पिछले दो साल से यह रैली आजाद मैदान में आयोजित की जा रही है।
ALSO READ: दुर्बल और असंगठित रहना अपराध है, नागपुर में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
उपस्थित लोगों के लिए सुगम पारगमन की सुविधा प्रदान करने और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए, मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने विभिन्न बिंदुओं पर यातायात को डायवर्ट कर दिया है और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। चूंकि भारत का चुनाव आयोग किसी भी दिन विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा, इसलिए दशहरा रैलियां चुनाव प्रचार रणनीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन 'मेलावास' को सेना के दोनों गुटों के लिए अपने चुनाव अभियान शुरू करने के मंच के रूप में देखा जाएगा। 

हाईब्रिड भाजपा स्वीकार नहीं :  शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या उसे आज की ‘हाइब्रिड भाजपा’ स्वीकार्य है। ठाकरे ने कहा कि  अपनी पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा को खुद को ‘‘भारतीय’’ कहने में शर्म आनी चाहिए।
 
उन्होंने भाजपा की तुलना कौरवों से की और उस पर अहंकारी होने का आरोप लगाया। ठाकरे ने सत्ता में आने के बाद राज्य के हर जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर बनाने का भी वादा किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 2019 में भाजपा से इसलिए अलग हो गए क्योंकि उन्हें हिंदुत्व के उसके संस्करण में विश्वास नहीं था लेकिन उन्होंने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को कभी नहीं छोड़ा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

विरोधियों पर बरसे आदित्य ठाकरे, बोले- धमकाने वालों को बर्फ की सिल्ली पर सुलाएंगे

जिस SDM अमित चौधरी को नरेश मीणा ने थप्पड़ मारा, उसने क्या कहा...

नाबालिग पत्नी से यौन संबंध बनाना पड़ा महंगा, 10 साल कैद की सजा बरकरार

महाराष्‍ट्र में मतदान का मौका चूक सकते हैं 12 लाख से ज्यादा गन्ना किसान, जानिए क्या है वजह?

क्यों नीला होता है पानी की बोतल के ढक्कन का रंग? रोचक है इसके पीछे की वजह

सभी देखें

नवीनतम

प्रधानमंत्री मोदी पर बरसे मल्लिकार्जुन खरगे, बोले- गलतियां बताने वालों को जेल में डाल देते हैं

हिन्दू तुम्हारी मस्जिदों में घुसें तो जूते मारो, बंटोगे तो कटोगे नारे पर बाबा बागेश्वर का बड़ा बयान

झांसी अस्पताल हादसे ने विवेक विहार अग्निकांड की ताजा कीं यादें

PM मोदी की याददाश्त कमजोर, भूलने की बीमारी, महाराष्ट्र में ऐसा क्यों बोले राहुल गांधी

डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर बाबा महाकाल को 200 अमेरिकी डॉलर की माला चढ़ाने वाला भक्त लापता

अगला लेख