महाराष्ट्र में बुधवार को सभी 288 सीटों पर एक चरण में मतदान होगा। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद 288 सदस्यों के साथ देश की तीसरी बड़ी विधानसभा में कौन सा गठबंधन बहुमत हासिल कर पाएगा, इस पर सबकी निगाहें हैं। दरअसल महाराष्ट्र में इस बार महायुति और महाविकास अघाड़ी दो गठबंधनों के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही गठबंधन ने किसी भी नेता को मुख्यमंत्री चेहरा नहीं घोषित किया है, ऐसे में महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इस सस्पेंस बना हुआ है।
वहीं गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कोई भी पार्टी अकेले दम पर भी विधानसभा में बहुमत नहीं पाने जा रही है, यह भी पूरी तरह साफ है। इसका कारण है कि राज्य की 288 विधानसभा में बहुतम का आंकड़ा 145 है और केवल एक मात्र पार्टी भाजपा है जो 149 सीटों परर चुनाव लड़ रही है।
महायुति ने नहीं किया सीएम चेहरा प्रोजेक्ट-महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति ने विधानसभा चुनाव में किसी को भी सीएम का चेहरा नहीं प्रोजेक्ट किया है। एकनाथ शिंदे भले ही अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हो लेकिन वह साफ कहते हैं कि वह चुनाव में सीएम का चेहरा नहीं है और न ही चुनाव के बाद सीएम पद के दावेदार है।
विधानसभा चुनाव की वोटिंग से ठीक पहले एक निजी चैनल से बात करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे सीएम पद की रेस में नहीं है, हलांकि एकनाथ शिंदे ने इसके साथ यह भी दावा किया कि चुनाव में महायुति गठबंधन की जीत होगी।
ऐसे में सवाल यह है कि अगर महायुति गठबंधन को बहुमत मिलता है तो क्या डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस के हाथों में सरकार की कमान होगी और वह मुख्यमंत्री बनेंगे। वहीं जब चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया ने देवेंद्र फड़णवीस से मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि वह मुख्यमंत्री की रेस में नहीं है। दरअसल देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके है। ऐसे में क्या एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार मुख्यमंत्री बनेंगे, यह भी एक सवाल है।
महायुति गठबंधन की ओर से चुनाव में सीएम का चेहरा नहीं घोषित करने और चुनाव के बाद बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल जब मीडिया ने गृहमंत्री अमित शाह से पूछा था तो उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद गठबंधन के तीन दल मिलकर सीएम का चेहरा तय करेंगे।
अजित पवार पर सबकी निगाहें?-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबकी निगाहें अजित पवार पर टिकी हुई है। महायुति गठबंधन में चुनाव लड़ रही अजित पवार की पार्टी एनसीपी राज्य की 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन चुनाव के दौरान जिस तरह से अजित पवार ने भाजपा से दूरी बनाई वह सियासी गलियों में चर्चा में है। अजित पवार भाजपा के बटेंगे तो कटेंगे नारे से दूरी बनाने के साथ भाजपा के बड़े नेताओं की सभाओं से भी दूरी बनाई जो उनके बदलते रूख की ओर साफ इशारा है। ऐसे में चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन और उसके बाद अजित पवार का क्या रुख होगा इस पर सबकी निगाहें लगी है। गौरतलब है कि महायुति गठबंधन में भाजपा 149 और एकनाथ शिंदे की शिवेसना 81 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
महाविकास अघाड़ी में फंसेगा सीएम का चेहरा-वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियां उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस इस बार महाविकास अघाड़ी गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। महायुति की तरह महाविकास अघाड़ी ने चुनाव में किसी को सीएम चेहरा नहीं घोषित किया। ऐसे में अगर 23 नवंबर को महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बहुमत मिलता है तो सीएम कौन बनेगा, यह लाख टके का सवाल है।
महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जिस तरह महाविकास अघाड़ी गठबंधन में पेंज फंसा था उससे आगे की राह आसान नहीं दिखती है। महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस 101, उद्धव ठाकरे की शिवसेना 95 और शरद पवार की पार्टी NCP 86 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने चुनाव से पहले सीएम पद की अपना दावा ठोंक दिया है। पार्टी के नेताओं ने साफ कहा कि जिस पार्टी की सबसे अधिक सीटें होगी उसका ही मुख्यमंत्री होगा। अगर महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बहुमत मिलता है तो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री चेहरे के लिए खुलकर दावेदारी करेंगे। खुद वोटिंग से ठीक पहले उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाविकास अघाड़ी को अपना सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए था।
अगर 2019 के चुनाव परिणाम को देखा जाए तब भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव ल़ड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने सीएम पद को लेकर ही भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था और कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
वहीं दूसरी ओर शरद पवार ने चुनाव के बीच में अपनी बेटी सुप्रिया सुले का नाम सीएम पद के लिए आगे कर दिया है। एक चुनावी सभा में शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा भी जाहिर कर दी। शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में हर बार यह चर्चा होती है कि पहली महिला मुख्यमंत्री कब मिलेगी? महाराष्ट्र ने हमारे शासन के दौरान महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसके बाद ही पूरे देश में महिला आरक्षण लागू किया गया। आज ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, अब मैं महाराष्ट्र में एक महिला मुख्यमंत्री बनते हुए देखना चाहता हूं।
वहीं महाविकास अघाड़ी में सबसे अधिक 101 सीटों पर चुनाव ल़ड़ने वाली कांग्रेस पहले से ही मुख्यमंत्री चेहरा नहीं प्रोजेक्ट करती आई है। चुनाव के बाद पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री चेहरे पर अपनी मोहर लगाता है और महाराष्ट्र में भी कांग्रेस इसी राह पर आगे बढ़ती हुई दिख रही है।