महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पढ़ें जानकारी, बापू ने क्यों कहा था कि मैं झूठा महात्मा हूं...

Webdunia
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो चुका था, जिसका संकेत वे अनेक बार दे भी चुके थे। जी हां, चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ के इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष एवं गांधी अध्ययन संस्थान की पूर्व निदेशक गीता श्रीवास्तव के शोध में ऐसे कई दृष्टांत दिए गए हैं। 
 
मेरठ विश्वविद्यालय में ही मानद प्राध्यापक के रूप में कार्यरत डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि 30 जनवरी 1948 को एक हत्यारे की गोली का निशाना बनने से एक दिन पहले ही उन्होंने 'हे राम' का उच्चारण करते हुए दुनिया से विदा होने की इच्छा व्यक्त की थी। 
 
यदि मैं जीवित रहा तो : इतना ही नहीं, गांधीजी ने अपनी मृत्यु से चंद मिनट पहले यानी अपनी अंतिम प्रार्थना सभा के दौरान काठियावा़ड़ (गुजरात) से उनसे मिलने दिल्ली आए दो नेताओं को कहलवाया था कि यदि मैं जीवित रहा तो प्रार्थना सभा के बाद आप लोग मुझसे बात कर सकेंगे। इस प्रकार मृत्यु से 24 घंटे पहले उन्होंने दो बार इसके पूर्वाभास की सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्ति कर दी थी। 
 
अनछुए पहलू : डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि शोध में ऐसे कई तथ्यों को उजागर करने की कोशिश की गई है, जो अन्यत्र प्रकाश में नहीं आ सके थे। उनका कहना है कि गांधीजी उन भाग्यशाली महापुरुषों में माने जाएंगे, जो अपनी इच्छानुसार मृत्यु को प्राप्त हुए। मृत्यु के समय गांधीजी की जुबान पर 'हे राम' शब्द थे। उनके निकट सहयोगी जानते थे कि यही उनके जीवन की सबसे बड़ी इच्छा भी थी।
 
झूठा महात्मा या सच्चा महात्मा : 24 जनवरी 1948 के बाद अपनी पौत्री मनु से उन्होंने कई बार हत्यारे की गोलियां या गोलियों की बौछार के बारे में बातें की थीं जो बुराई की आशंका में नहीं वरन अपने सार्थक जीवन के अंत के रूप में थीं, जिसका आभास उन्हें हो चुका था। 
 
अपनी मृत्यु से एक दिन पहले 29 जनवरी को उन्होंने मनु से कहा था कि यदि मेरी मृत्यु किसी बीमारी से, चाहे वह एक मुंहासे से ही क्यों न हो, तुम घर की छत से चिल्ला-चिल्लाकर दुनिया से कहना- मैं एक झूठा महात्मा था। 
 
अंत में 30 जनवरी 1948 को वह दुखद घड़ी भी आ पहुंची, जब गांधीजी का पूर्वाभास सच होने वाला था। अपनी पौत्रियों मनु और आभा का सहारा लेकर वे प्रतिदिन होने वाली प्रार्थना सभा में पहुंचे।
 
अभी उन्होंने दोनों हाथ जो़ड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार ही किया था कि एक नवयुवक नाथूराम गोड़से ने मनु को झटका देकर और गांधीजी के आगे घुटनों के बल अभिवादन के अंदाज में झुककर तीन गोलियां दाग दीं और बापू हम सबको छोड़ कर चले गए।

ALSO READ: महात्मा गांधी के बारे में ये 10 बातें, बेशक आप नहीं जानते होंगे

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Israel-Iran Conflict : इजराइल-ईरान में क्यों है तनाव, भयंकर युद्ध हुआ तो भारत पर क्या होगा असर

एयर इंडिया विमान हादसे का क्या कनेक्शन है जगन्नाथ मंदिर और अच्युतानंद महाराज की गादी से

विमान हादसे में तुर्की का तो हाथ नहीं? बाबा रामदेव के बयान से सनसनी

इंसानी गलती या टेक्नीकल फॉल्ट, AI-171 के ब्लैक बॉक्स से सामने आएगा सच, जानिए कैसे खोलते हैं हादसे का राज

डोनाल्ड ट्रंप बोले- ईरान के पास बातचीत का दूसरा मौका, परमाणु समझौता कर तबाही को बचा लो

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: सोनप्रयाग से केदारनाथ की पैदल यात्रा स्थगित

इसराइल ने ईरान के रक्षा मुख्यालय को निशाना बनाया, ईरान ने भी बरसाईं मिसाइल

Coronavirus : दिल्ली में बढ़ा कोरोना का खतरा, 1 ही दिन में 3 लोगों की मौत, जानिए एक्टिव मरीजों की संख्‍या

DNA सैंपल से हुई विजय रुपाणी के शव की पहचान, अहमदाबाद प्लेन क्रैश में गई थी जान

कौन था केदारनाथ के पास क्रैश हेलीकॉप्टर का पायलट राजवीर सिंह चौहान, क्या था उसका सेना से कनेक्शन?

अगला लेख