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महावीर जयंती
मानवता का मोती है क्षमा
भगवान महावीर एवं जैन दर्शन
प्राणी मात्र के कल्याण महावीर का संदेश
भगवान महावीर
॥ महावीर चालीसा ॥
॥ सत्य ॥
पुरिसा! सच्चमेव समभिजाणाहि। सच्चस्स आणाए से उवट्ठिए मेहावी मारं तरइ॥ सत्य के बारे में महावीरजी कहते...
॥ अहिंसा ॥
हिंसा के बारे में महावीरजी ने कहा है इस लोक में जितने भी त्रस जीव (दो, तीन, चार और पाँच इंद्रिय वाले...
॥ ब्रह्मचर्य ॥
ब्रह्मचारी ने पिछले जीवन में स्त्रियों के साथ जो भोग भोगे हों, जो हँसी-मसखरी की हो, ताश-चौपड़ खेली हो...
।। धर्म, संयम, तप ।।
चाहे शत्रु हो या मित्र, वैरी हो या मीत सभी जीवों पर, सभी प्राणियों पर समभाव रखना, सभी को अपने जैसे स...
कषाय-क्रोध, मन, माया, लोभ
क्रोध से मनुष्य नीचे गिरता है। अभिमान से अधम गति को पाता है। माया से सत्गति का नाश होता है तथा लोभ ...
॥ महावीराष्टक-स्तोत्रम् ॥
यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचितः समं भान्ति ध्रौव्य व्यय-जनि-लसन्तोऽन्तरहिताः। जगत्साक्षी मार्ग-...
महावीर स्वामी का जीवन परिचय
जैन आगम का मोक्षमार्ग
जैन धर्म के अनुसार 'सव्वे पाणा, सव्वे जीवा, सव्वे भूता, सव्वे सत्ता... सुहसाया, दुक्ख पडिकूला' यानी ...
महावीर के उपदेश
भगवान महावीर ने विभिन्न विषयों पर दुनिया के लोगों के लिए संदेश दिए हैं। जिन्हें हम महावीर के उपदेश क...
॥ अपरिग्रह ॥
परिग्रह पर महावीर स्वामी कहते हैं जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा...
॥ क्षमा ॥
मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पाप वृत्तियाँ प्रकट की हो...
॥ आत्मा ॥
आत्मा स्वयं ही दुःख तथा सुखों को उत्पन्न तथा नाश करने वाली है। सन्मार्ग पर चलने वाली सदाचारी आत्मा म...
॥ कर्म ॥
नाणस्सावरणिज्जं, दंसणावरणं तहा। वेयणिज्जं तहा मोहं, आउकम्मं तहेव य॥ नामकम्मं च गोयं च, अंतरायं तहेव ...
कर्मों का फल
महावीरजी कहते हैं इस धरती पर जितने भी प्राणी हैं, वे सब अपने-अपने संचित कर्मों के कारण ही संसार में ...
॥ चोरी मत करो ॥
चोरी के बारे में महावीर स्वामी के उपदेश-
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