मकर संक्रांति का विशेष महत्व क्यों है? जानिए

Webdunia
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है। 14 जनवरी 2017 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उत्तर भारत में यह पर्व 'मकर सक्रान्ति के नाम से और गुजरात में 'उत्तरायण' नाम से जाना जाता है। मकर संक्रान्ति को पंजाब में लोहडी पर्व, उतराखंड में उतरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। 
मकर संक्रान्ति के शुभ समय पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना भी की जाती है। शास्त्रीय सिद्धांतानुसार सूर्य पूजा करते समय श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्पों का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य की पूजा करने के साथ साथ सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। 
 
मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है। इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए। तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है। जितना सहजता से दान कर सकते हैं, उतना दान अवश्य करना चाहिए। 
 
मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था। इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था। 
 
कहा जाता है कि आज ही के दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रान्ति के दिन से मौसम में बदलाव आना आरम्भ होता है। यही कारण है कि रातें छोटी व दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उतरी गोलार्द्ध की ओर जाने के कारण ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ होता है। सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढ़ने लगती है। इसके फलस्वरुप प्राणियों में चेतना और कार्यशक्ति का विकास होता है। 
 
मकर-संक्रान्ति के दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं, आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है, अंधकार का नाश व प्रकाश का आगमन होता है. इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्व है। इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना पश्चात गुड़, चावल और तिल का दान श्रेष्ठ माना गया है। 
 
मकर संक्रान्ति के दिन खाई जाने वाली वस्तुओं में जी भर कर तिलों का प्रयोग किया जाता है। तिल से बने व्यंजनों की खुशबू मकर संक्रान्ति के दिन हर घर से आती महसूस की जा सकती है। इस दिन तिल का सेवन और साथ ही दान करना शुभ होता है। तिल का उबटन, तिल के तेल का प्रयोग, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल का पान, तिल- हवन, तिल की वस्तुओं का सेवन व दान करना व्यक्ति के पापों में कमी करता है। 
Show comments

Astro prediction: 4 जून 2024 को किस पार्टी का भाग्य चमकेगा, क्या बंद है EVM में

Tulsi : तुलसी के पास लगाएं ये तीन पौधे, जीवनभर घर में आएगा धन, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

Bhaiyaji sarkar: 4 साल से सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा है ये संत, एमपी सरकार करवा रही जांच

Astro prediction: 18 जून को होगी बड़ी घटना, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है भविष्यवाणी

Guru ketu gochar : गुरु और केतु के नवपंचम योग से 3 राशियों को मिलेगा बड़ा फायदा

Weekly Forecast 2024 : 27 मई से 2 जून 2024, जानें नया साप्ताहिक राशिफल (एक क्लिक पर)

Weekly Calendar: साप्ताहिक पंचांग कैलेंडर मुहूर्त, जानें 27 मई से 2 जून 2024

Aaj Ka Rashifal: आज का दिन क्या खास लाया है आपके लिए, पढ़ें 26 मई का दैनिक राशिफल

Bada Mangal : इस शुभ योग में मनाया जाएगा बड़ा मंगल, जानें क्यों मनाते हैं?

Chanakya niti : अपने बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा तो चाणक्य की ये बात भी मान लें, वर्ना पछताएं

अगला लेख