बच्चे के मन पर बचपन में होने वाली घटनाओं का गहरा असर पड़ता है। कई बार बचपन में कुछ बच्चों ऐसी घटना का सामना करना पड़ता है, जिसका असर उन्हें बाद तक महसूस होता है। इसका प्रभाव बच्चे के जीवन में कई तरह की नकारात्मकता को ला सकता है। इसकी वजह से बच्चे के मानसिक विकास प्रभावित होता है। आइये इस लेख जानते हैं कि डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर क्या है। इस दौरान कैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।ALSO READ: बच्चा बात-बात पर करता है गुस्सा तो क्या करें पैरेंट्स
डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर क्या है - What Is Developmental Trauma Disorder in Hindi
इस स्थिति में बच्चों को घर के सदस्य या करीबी से मानसिक समस्या हो सकती है डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर (डीटीडी) में बच्चे की भावनाओं पर बुरा असर पड़ता है। ये डिसऑर्डर प्रतिकूल परिस्थितियों, जैसे दुर्व्यवहार, उपेक्षा, या घरेलू वातावरण में अस्थिरता के कारण हो सकता है। डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर के कारण अक्सर सामाजिक-आर्थिक और पारिवारिक स्थितियों से जुड़े होते हैं। बच्चे अक्सर शारीरिक, भावनात्मक या यौन शोषण के साथ-साथ अपने करीबी के द्वारा उपेक्षा या छोड़ने के चलते डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर महसूस कर सकते हैं।
बच्चों में डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर के लक्षण - Symptoms Of Developmental Trauma Disorder In Hindi
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर (डीटीडी) एक चिंता का विषय है। ट्रॉमा स्वयं विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है। लोगों के साथ जुड़ने में मुश्किल होना डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर का एक प्रमुख लक्षण है कि बच्चे देखभाल करने वालों या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। बच्चे किसी पर ट्र्स्ट नहीं कर पाते हैं। इसका असर बच्चे के सामाजिक और भावनात्मक डेवलपमेंट में भी पड़ सकता है।
भावनात्मक विकृति
डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर वाले बच्चे अक्सर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, तेजी से मूड स्विंग्स, क्रोध या आक्रामकता जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह बच्चे के ट्रॉमा की वजह से उत्पन्न होता है। बच्चे किसी से बात नहीं कर पाते हैं।
हमेशा डर में रहना
ट्रॉमा के अपने पिछले अनुभवों के कारण, बच्चे अक्सर अपने वातावरण में संभावित खतरों के प्रति अतिसतर्कता और बढ़ी हुई संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं। वे अपरिचित स्थितियों या व्यक्तियों से अत्यधिक सावधान हो सकते हैं। किसी कार्य को वह बार-बार टालने लगते हैं।
कॉग्नेटिव माइंड पर असर
डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर में बच्चे के संज्ञानात्मक कामकाज (कॉग्नेटिव माइंड) प्रभावित हो सकता है, जिससे बच्चा केंद्रित करने, सीखने और जानकारी को याद नहीं रख पाता है। बच्चे की पढ़ाई में भी इसका असर पड़ता है।
व्यवहार में बदलाव
कुछ मामलों में, डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर वाले बच्चे अपने भावनात्मक दर्द से बचने के लिए आक्रमक हो जाते हैं। उनके व्यवहार गुस्से में बदलने लगता है। इसकी वजह से उनको घर के अन्य लोगों से डांट खाने को मिल सकती है।
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