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हिन्दी कविता मां पर : मां की महिमा को कह पाना आसान नहीं
Webdunia
Happy mothers day poems
डॉ. शोभा ओम प्रजापति
मातृ-दिवस पर मेरी स्वरचित काव्य रचना ...
मां
जिसने अपना दूध पिलाकर, हमको पाला पोसा है।
खुद भूखे रहकर भी जिसने, हमको अन्न परोसा है।
जिसने हम पर आने वाली, विपदाओं को झेला है।
जिसका हृदय विशाल उदधि के, जैसा व्यापक फैला है।
जिसने खुद के सुख को हम पर, न्योछावर कर डाला है।
खुली आंख से सदा हमारे, सुख का सपना पाला है।
जिसने अपने आंचल से, पथरीली राह बुहारी है।
जिसके नेह प्रेम की शीतल छांव, सघन सुखकारी है।
जिसकी ममता के गीतों को,काल सदा ही गाता है।
ईश्वर का जो सगुण रूप है,वह जननी है माता है।।
मां की महिमा को कह पाना, है निश्चित आसान नहीं।
सच मानो उसके शरीर में, बसते उसके प्राण नहीं।
उसके प्राण बसा करते हैं, बस उसकी संतानों में।
इसी तरह गिनती होती, उसकी जीवित इंसानों में।
उसके रोम रोम से बहती, ममता की रसधारा है।
निज संतति के सुख पर वारा, जिसने जीवन सारा है।
उसके जीवन में कांटे हों, तो भी वह मुस्काती है।
शूल कंटकों में रहकर भी, पुण्य पुष्प बरसाती है।
क्षमा दया करुणा का सागर, जिस मन में लहराता है।
प्रेम पीयूष सदा बरसाती, देव स्वरूपा माता है।।
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