मां तू कितनी अच्छी है...!

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
मां तो मां होती है। पैदा होने से लेकर बड़े हो जाने तक वो बच्चों का ख्याल रखती है। जब हम छोटे थे, तो मां ही हमारे रोने पर हमारी भावना को समझ जाती थी कि इन्हें भूख लगी, शरीर में कहीं दुख तो नहीं रहा या बिस्तर पर मल-मूत्र तो नहीं कर दिया? वो इन बातों को समझकर तत्काल रोना बंद करवाकर थपकी देकर गोद में झोली बनाकर, गुनगुनाकर मीठी नींद ला देती थी। ये कार्य सिर्फ मां ही कर सकती है।
 
जब थोड़ा बड़ा हुआ और मैं महज 8 साल का था, तब रेडियो पर एक गीत बजता था- 'मां तू कितनी अच्छी है, कितनी प्यारी है....', जो कई बार बजता रहता था। उसे याद कर तोतली जुबान से जब मैं अकेले में गा रहा था तो मां ने चौके में काम करते समय सुना। मां दौड़कर मेरे पास आई और मुझे गले लगा लिया। मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। और खुशी इस बात की थी कि इतनी मधुर तोतली जुबान से मानो मैं मां का गुणगान कर रहा हूं।
 
हालांकि मुझे इस गाने का सही अर्थ नहीं पता था। मां का घर में इतना प्यार मिलता था कि भले ही मां भूखी हो, मगर मुझे आई तृप्ति की डकार से वो संतुष्ट हो जाती। रटा हुआ गाना जब मैंने स्कूल में सुनाया तो पहला इनाम मुझे ही मिला। साथ ही शाबासी भी मिली।
 
भागदौड़ की व्यस्ततम जिंदगी से समय ही नहीं मिलता कि अपनी मां से मोबाइल पर संदेशा भेजकर दो बातें कर लूं। बाहर नौकरी में घर जाना मुश्किल होता। मां को अपने पुराने घर, जाने- पहचाने लोगों से ही बातें करना, उनके साथ मंदिर जाना और खाली समय में टीवी देखना अच्छा लगता है इसलिए मां मेरे साथ नहीं रहती।
 
मैं महीने में 2 बार घर जाकर मां की देखभाल कर लेता हूं। घर जाने पर मां छोटे बच्चे की तरह ही मेरा ख्याल रखती। मैं मां से कहता कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं। मां मुझे अब भी डांटती हैं। अब मेरी शादी हो गई और मेरे 2 बच्चे भी हैं। जब पत्नी व बच्चों को साथ लेकर घर जाता हूं तो मां अब भी पत्नी व बच्चों के सामने डांटती हैं। बच्चे खुश होते। वे इसलिए खुश होते कि पापा भी हरदम हमें डांटते रहते हैं। दादीजी ने अच्छा डांटा। पत्नी को बुरा लगता। वो मुझसे कहती कि अब तो सुधर जाओ। बच्चों जैसी हरकतें करना बंद करो। मां के सान्निध्य में इंसान कोई भी हो, ताउम्र तक बच्चा ही रहता है। 
 
बाहर दालान से मीठे गाने की आवाज- 'मां तू कितनी अच्छी है, कितनी प्यारी है...' सुनाई दी। सब भागकर बाहर आए। देखा कि मेरे बच्चे भी आज वो ही गाना गा रहे थे।
 
मैंने पूछा कि क्यों गा रहे हो? तो बच्चे बोले कि पापा 'मदर्स डे' पर स्कूल में हमने गाने में भाग लिया। उसी की हम तैयारी कर रहे थे। पत्नी और मां को गर्व महसूस हुआ और दोनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े!

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