Dharma Sangrah

मां पर कविता : बेटियों का मां होना

ज्योति जैन
निश्चित ही मां बनने के लिए संतानोत्पत्ति अनिवार्य है....।
लेकिन कुछ बेटियां ....
जन्मजात ही...
 मां होती हैं..।
 जैसे मेरी बेटियां..!
 बचपन से ही...
पोंछ लेती थीं पीड़ा में...
अपने नन्हें हाथों से....
 अपनी मां के आंसू...।
 जब मां की छाती से लग जाती है....
 तो मां को लगता है...,
 कि उसकी मां आ गई है..।
 हर लेती है सारा दुख और उदासी अपनी निश्छल हंसी से..।
कभी अपने कांधे से भी..
विराट लगती है..जब
मेरे कंधों से निराशा उतार फेंकती हैं..।
भाव वही..
हम हैं ना...!!
सौभाग्यशाली हूँ...
कि जननी के साथ...
दो बेटियां पाई हैं...
जो है....
सखी व मां की भूमिका में भी....।
 मातृ दिवस पर ..
मां जैसी मेरी बेटियों का अभिनंदन..।

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