मातृ दिवस पर 5 छोटी कविताएं : मां के आंचल की छाया

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1 . मां रूप-रस खान
 
मां पूजा
मां करुणा,
मां ममता
मां  ज्ञान,
मां आदर्शों का बंधन,
मां रूप रस खान,
मां ही आभा समाज की,
मां ही युग का अभिमान,
मां से मैं,
मां की ही मैं परछाई...
-पद्मा राजेन्द्र
 
2 . मां ने बांधे काले धागे
 
नज़र से बचाने को
मां ने बांध दिए
हाथ-पैरों में काले धागे,
मां जानती नहीं,
ताक़त काले धागे में नहीं,
ख़ुद मां की अंगुलियों में है।
-ज्योति जैन
 
3 . मां के आंचल की छाया
 
मां के आंचल की छाया
संतानों का दूर करे दुःख
मां के आंचल की छाया,
आजीवन सेवारत होती,
मां की ममतामयी काया
-मृणालिनी धुले
 
4 . मां तो मां है न
 
मां तो मां है न,
वो उबार लेती है
मुश्किलों में
सबको संभाल लेती है,
गणित ज़िंदगी का
या रिश्तों में नमक,
ज़रा कम पड़े ख़ुद को डाल देती है..
-निधि जैन
 
5. मां, मैं कहां जाऊं 
 
मां,
मैं तेरे ख्यालों से निकलूं
तो कहां जाऊं,
तू मेरी सोच के
हर रास्ते पर
नज़र आती है...
-कुमुद मारू

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