मप्र में कांग्रेस के लिए 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाली स्थिति : सिंधिया

Webdunia
रविवार, 18 नवंबर 2018 (21:29 IST)
शिवपुरी (मप्र)। मध्यप्रदेश की सत्ता में आने के लिए भरसक प्रयास कर रही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का मानना है कि पिछले 15 वर्षों से राज्य की सत्ता से बाहर देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाली स्थिति है।
 
 
प्रदेश में कांग्रेस के शक्तिशाली नेता सिंधिया ने हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी नेताओं के बीच मनमुटाव संबंधी रिपोर्टों पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे किसी कुर्सी के पीछे नहीं दौड़ रहे हैं और उनका एकमात्र लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार बनाए।
 
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद सिंधिया ने पिछले 6 दिनों में लगभग 48 विधानसभा सीटों का दौरा किया और 26 नवंबर को प्रचार समाप्त होने से पहले उनकी योजना 50-60 और विधानसभा क्षेत्रों में जाने की है। सिंधिया ने 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर होने के बावजूद जीत दर्ज की थी। उस समय उनकी पार्टी के कई सहयोगियों को हार का सामना करना पड़ा था।
 
राज्य की 230 विधानसभा सीटों पर 28 नवंबर को मतदान होगा जबकि मतगणना 11 दिसंबर को होगी। राज्य में हमेशा भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है हालांकि भगवा पार्टी 2003 से ही कांग्रेस को हराकर लगातार राज्य की सत्ता पर काबिज है।
 
चुनाव प्रचार के दौरान सिंधिया ने बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी को 26 नवंबर की शाम 5 बजे तक लगातार कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। जब उनसे पूछा गया कि राज्य की सत्ता में वापस लौटने के लिए क्या कांग्रेस के पास यह बेहतर अवसर है, तो पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबसे अच्छा है या नहीं। यह 'अभी नहीं तो कभी नहीं'। पूर्णविराम। जब 'अभी नहीं तो कभी नहीं' कहता हूं तो यह सब कुछ कहता है।
 
उन्होंने कहा कि इसलिए मैं अपनी सारी ऊर्जा कांग्रेस पार्टी के प्रचार अभियान के लिए रखना चाहता था। अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में जो मेरी सीधी जिम्मेदारी है। यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी के चुनाव जीतने पर क्या वे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे? तो ग्वालियर के शाही परिवार के 47 वर्षीय वंशज सिंधिया ने कहा कि जो कुछ भी पार्टी उनके लिए निर्णय लेगी, वे उसका पालन करेंगे।
 
जब उनसे पूछा गया कि उनकी पार्टी के चुनाव जीतने पर क्या मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए वे चुनाव लड़ेंगे? तो उन्होंने एक संक्षिप्त टिप्पणी की कि कि हम उस समय देखेंगे। मेरी एकमात्र आकांक्षा लोगों की सेवा करना है। मैं किसी पद की दौड़ में नहीं हूं। मैं जो देखना चाहता हूं, वह यह है कि मेरी पार्टी सरकार में आए ताकि लोगों को सही तरीके से सेवा मिल सके।
 
उनसे जब पूछा गया कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश नहीं करना क्या पार्टी की किसी रणनीति का हिस्सा है, सिंधिया ने कहा कि यह उनका और उनकी पार्टी का एक सोचा-समझा निर्णय है। सिंधिया के अलावा कांग्रेस के पास मध्यप्रदेश से कई अन्य प्रभावशाली नेता हैं जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शामिल हैं। इस तरह की कुछ रिपोर्टें हैं कि मुख्यमंत्री पद के लिए सिंधिया और नाथ के बीच लंबे समय से प्रतिद्वंद्विता चल रही है।
 
सिंधिया ने कहा कि कुछ चुनाव सर्वेक्षणों ने राज्य में कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ बढ़त दी है लेकिन वे अतिआत्मविश्वास में नहीं जाना चाहते। हम इस लड़ाई को अपनी अंतिम सांस तक जारी रखेंगे, क्योंकि यह लड़ाई मध्यप्रदेश की सत्ता हासिल करने की नहीं है बल्कि यह मेरे राज्य के 7.5 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए है।
 
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार चुनाव में धनबल का इस्तेमाल कर रही है। वे भाजपा की चुनावी रणनीति से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, क्योंकि उन्होंने पिछले एक साल में मध्यप्रदेश में 3 उपचुनावों में उनका मुकाबला किया था।
 
उन्होंने कहा कि मैं उनके खेल को जानता हूं और मैंने मुंगावली और कोलारस जैसी विधानसभा सीटों पर उन्हें पराजित किया है। वे भाजपा के खिलाफ निराधार आरोप नहीं लगा रहे हैं लेकिन यह सच्चाई है कि सत्तारूढ़ पार्टी चुनावों में धनबल का इस्तेमाल करती है। हमने उपचुनाव के दौरान इसके बारे में चुनाव आयोग से शिकायत की थी।
 
कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के पुत्र ने कहा कि राज्य का दौरा करने और लोगों के साथ बैठकें करने के बाद उन्हें विश्वास है कि मध्यप्रदेश में परिवर्तन होगा और हम जानते हैं कि राज्य में यह बदलाव का समय है, क्योंकि मध्यप्रदेश के लोग मौजूदा सरकार से त्रस्त हैं, क्योंकि उनकी आकांक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं और लोग बदलाव चाहते हैं। 

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