भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा में टिकट को लेकर इस बार जितना घमासान मचा है, इतना शायद पहले कभी देखने को नहीं मिला। एक सप्ताह से टिकट के दावेदारों को पार्टी दफ्तर के बाहर अपना शक्ति प्रदर्शन करना आम बात हो गई है। नेता चाहे बडा़ हो या छोटा सभी ने पार्टी के नेताओं पर दबाव बनाने के लिए शक्ति प्रदर्शन का सहारा लिया।
नेता के समर्थक बैनर और झंडे लेकर पार्टी दफ्तर के बाहर और अंदर प्रदर्शन करते देखे जा रहे थे। पार्टी दफ्तर के अंदर जब चुनाव समिति की बैठक चल रही होती थी तो बाहर टिकट के दावेदारों के समर्थक नारे लगा रहे होते थे। इतना ही नहीं, जैसे ही पार्टी के बड़े नेता पार्टी दफ्तर पहुंचते टिकट के दावेदार उनको घेर लेते और अपना बायोडाटा सौंपेने लगते हैं।
कुछ ऐसे ही हालतों का सामना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पार्टी दफ्तर में लगातार दो दिन रविवार और सोमवार को करना पड़ा। ऐसे में दावेदारों को संभालने और समाझाइश देने का मोर्चा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संभाला।
प्रदेश कार्यालय में जब टिकट के दावेदार नेताओं ने मुख्यमंत्री को घेर कर उनसे टिकट की मांग करने लगे तो मुख्यमंत्री ने कहा कि 'मैं टिकट दे पांऊ या न दे पांऊ, लेकिन आप से प्यार बहुत करता हूं'। मुख्यमंत्री के इतना कहते ही टिकट के दावेदार नेताओं ने शिवराज का हाथ जोड़कर अभिवादन करने के साथ ही हर हाल में पार्टी के साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया।
इसके बाद मुख्यमंत्री पार्टी दफ्तर में कई टिकट के दावेदारों से मिलकर टिकट बंटवारे से पहले डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। इसके साथ मुख्यमंत्री ने टिकट के दावेदार कई पूर्व विधायकों से अकेले में बात कर पार्टी की पूरी रणनीति को समझाया, वहीं टिकट के बंटवारे के बाद होने वाले संभावित विरोध को देखते हुए पार्टी ने विशेष प्लान बनाया है।
इस बार टिकट कटने पर बागी होने वाले विधायकों को मनाने के लिए खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मोर्चा संभालेंगे। ये सभी नेता बागी और विरोध करने वाले विधायकों को समझाइश देने के साथ उनके टिकट कटने का कारण भी बताएंगे।
इसके साथ ये भी समझाने की कोशिश करेंगे कि इस बार सरकार बनना उनका पहला लक्ष्य होना चाहिए। बाद में सरकार बनने पर टिकट न मिलने वाले सभी नेताओं को कहीं न कहीं एडजस्ट किया जाएगा। दूसरी ओर भाजपा में टिकट को लेकर जितनी टेंशन इस बार दिख रही है, उससे इतना तो तय है कि इस बार टिकट बंटने के बाद पार्टी नेताओं को डैमेज कंट्रोल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।