कोरोना काल की कहानियां : बनते-बिगड़ते रिश्ते

डॉ. छाया मंगल मिश्र
जैसे ही फोन की घंटी बजती है लगता है कोई मनहूस खबर है। मानो फोन में यमराज अपने भैंसे के साथ विराजे हों जिसके गले में बंधी घंटी इस फोन में से सुनाई दे रही हो। समय ही ऐसा हो चला है। इस काल ने अपने पराये कुछ में स्वार्थ भर दिया, तो कुछ आज भी बिना विचलन के मानवधर्म का पालन इंसानियत के साथ निभा रहे हैं।

ऐसे ही प्रिया को उसकी बड़ी बहन पूर्णिमा का फोन आया-‘तेरे जीजाजी कोरोना पॉजिटिव आ गए हैं। आठ दिनों से उन्हें बुखार नहीं कम हो रहा।  सर्दी खांसी है।  मुझे यहां नहीं रहना तेरे पास आ रही हूं..... प्रिया कुछ बोलती उसके पहले ही उन्होंने फोन कट कर दिया.... प्रिया की बेटी डॉक्टर है... मां को समझा रही है कि मौसी को कहें कि वो भी टेस्ट करवाएं। प्रिया अपनी बड़ी बहन को बहुत प्यार, सम्मान से निभाती आई है। कह नहीं पा रही। तब उनकी बेटी ने ही फोन लगा कर कह दिया कि ‘पहले टेस्ट कराएं, नेगेटिव रिपोर्ट आये तब आ जाएं सभी के लिए उचित रहेगा... बस फिर क्या था...पूर्णिमा ने कोहराम मचा दिया।आसमान सर पर उठा लिया. मानो कोई अक्षम्य अपराध कर दिया हो प्रिया की बेटी ने।घोर अपमान हो गया उनका। कल की छोकरी ने उन्हें इंकार कैसे किया? ज़माने के श्राप दे रही प्रिया और बेटी को। पूरे परिवार को कोस रही।बार बार फोन पर रिश्ते खतम की धमकी दे रही।
 
जो औरत खुद अपने पति को साथ देने की बजाय उसे छोड़ कर अपनी जान बचा रही वो स्वार्थिन रिश्ते निभाने का ज्ञान दे रही। जब पति को साथ की सबसे ज्यादा जरुरत है तब वो उसे छोड़ प्रिया के घर जा रही।क्या गलत कहा प्रिया की बेटी ने? समझदारी की बात ही तो की है। जांच किये बिना आप कैसे किसी के घर जाओगे जबकि आप कोरोना मरीज के साथ रह रहे थे।औरों की जान से खेलने का अधिकार कौनसे रिश्ते देते हैं? उच्च शिक्षित पूर्णिमा का ये व्यवहार उसकी मूर्खता और स्वार्थ को प्रदर्शित करता है। अपनी बहन को कोसना, बददुआएं देना कहां का प्रेम है? ऐसे समय एकदूसरे को सम्हालने की बजाये बोझ बनना क्या गुनाह नहीं है? पर जब मति मारी जाती है तब शायद ऐसे ही होता होगा।
 
ठीक इससे उलट भी हो रहा है। अन्नू के घर के सामने एक बुजुर्ग दंपत्ति रहती है।उन्हें कोरोना हो गया।उम्र ज्यादा होने से खतरा भी बड़ा था।बुखार सर्दी होते ही उन्होंने अन्नू को फोन किया।अन्नू के बेटे ने तुरंत फोन से कोरोना टेस्ट, डॉक्टर, दवा, फलों का इंतजाम कर दिया।उनके किरायेदार ने भोजन-पानी का।सभी ने एक ग्रुप बना लिया।बार बार फोन की बजाय सभी उस ग्रुप पर सूचनाएं साझा कर लेते।डॉक्टर को रिपोर्ट भेजना, दिन भर ऑक्सीमीटर और बुखार नापना संभव न हो पा रहा था क्योंकि दंपत्ति उसे देख समझ नहीं पा रही थी.. सो दंपत्ति से कहा उसका भी फोटो ले ग्रुप पर डाल देवें। समस्या हल हो गयी।सभी ने उनका साथ दिया समय निकल गया आज वे नेगेटिव रिपोर्ट के साथ सभी का शुक्रिया कर रहे। किसी को भी अपने घर से ही नहीं निकलना पड़ा।

वीडियो कॉल जरुरत पड़ने पर किये गए। बस शर्त यही है कि रोग समय रहते पकड़ा जाए। कोई किसी का रिश्तेदार नहीं है पर सभी बंधे हुए हैं उस रिश्ते की डोर से जिसे इंसानियत, प्रेम, मोहब्बत, परवाह कहते हैं। जीवन की बगिया में अच्छे कर्मों के पुष्प जब सुगन्धित होते हैं वो खुशबू इंसानियत, प्रेम, मोहब्बत और संवेदनाओं से ही तो बनती है। पूरा उपवन इस खुशबू से महकता रहे और स्वार्थ की बदबू को भगाता रहे...परास्त करता रहे...क्योंकि इस दुनिया में तरह तरह के लोगों का वास है. और सभी की मति/बुद्धि अलग अलग काम करती है....

गुलाब हैं तो कांटे भी है। इसीलिए तो कहते हैं “मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्ना”....कोरोना काल में अपने पराये हो रहे हैं और पराये अपने....बन रहे हैं,बिगड़ रहे हैं और संवर भी रहे हैं रिश्ते....

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

ये 10 फूड्स खाकर बढ़ जाता है आपका स्ट्रेस, भूलकर भी ना करें इन्हें खाने की गलती

खाली पेट पेनकिलर लेने से क्या होता है?

बेटी को दीजिए ‘इ’ से शुरू होने वाले ये मनभावन नाम, अर्थ भी मोह लेंगे मन

खाने में सफेद नमक की जगह डालें ये 5 चीजें, मिलेगा परफेक्ट और हेल्दी टेस्ट

Hustle Culture अब पुरानी बात! जानिए कैसे बदल रही है Work की Definition नई पीढ़ी के साथ

सभी देखें

नवीनतम

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और गूगल के वर्तमान संदर्भ में गुरु की प्रासंगिकता

अगला लेख