जुगाड़ लगा लेते हैं, मैनेज कर लेते हैं

स्वरांगी साने
चलिए कुछ जुगाड़ जमा लेते हैं...। पहले कभी जुगाड़ लगाने को अच्छा नहीं समझा जाता था, लेकिन अब यह एक सकारात्मक पहलू बन गया है। जब योजना या कह लीजिए प्लानिंग गड़बड़ा जाती है, तो उस वक्त का काम चला लेने के लिए जुगाड़ को अब ग्लोरीफ़ाई अंदाज़ में पेश किया जाने लगा है। 
 
क्विक फ़िक्स, वर्क अराउंड, हैक जैसे शब्द उसके आसपास तक तो ले जाते हैं लेकिन बोलचाल के इस हिंदी शब्द का सही अनुवाद मिल पाना तब भी मुश्किल है। विपरीत परिस्थितियों में समाधान खोजने के रूप में इस मानसिकता को अब सकारात्मक माना जाने लगा है। व्यापार-व्यवसाय में जहां किसी बात की शत-प्रतिशत गारंटी नहीं होती, इसी जुगाड़ को मैनेज कर लेने का मुल्लमा चढ़ाकर पेश किया जाता है। 
 
तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए किसी की मदद से, पहचान से, जुगाड़ से या कह लीजिए किसी को मैनेज कर काम करवा लिया जाता है, जिसे अब ग़लत नहीं समझा जाता। टीम वर्क में भी जिसकी जुगाड़ ज़्यादा होती है, उसकी पहुंच ज़्यादा मानी जाती है। 
 
वैसे तो जुगाड़ बड़ा देशज शब्द है जो हिंदी के अलावा अन्य कई भारतीय भाषाओं में इस्तेमाल में लाया जाता है। भारतीय मूल के विदेश में बसे लोग भी इस शब्द का बहुतेरा प्रयोग करते हैं। वे इसे देसी जुगाड़ कहते हैं। भारतीयों को जुगाड़ के मामले में नंबर वन भी कहा जाता है।
 
कुछ मिल नहीं रहा हो, तो जो मिल जाए उसी का इस्तेमाल कर काम कर लेना मतलब है जुगाड़। जब मानक संसाधनों का अभाव हों या वे बहुत महंगे हो तो कामचलाऊ ढंग से कुछ भी करके काम निकाल लेने को भी जुगाड़ कहते हैं। किसी कठिन काम के लिए अपनाई जाने वाली तरकीब को अब इनोवेशन का नाम भी दिया जाने लगा है। अब इसे जुगाड़ तकनीक का नाम भी दिया जाने लगा है। 
 
भारत के कई भागों में तो मोटरसाइकिल या पम्पिंग सेट इंजन से बनी सस्ती गाड़ी को भी जुगाड़ कहा जाता है, जिसमें डीजल इंजन का प्रयोग करके कामचलाऊ गाड़ी बनाई जाती है जो गांव-कस्बों में माल ढोने, सवारियों को लाने-ले जाने के काम आती है। 
 
जुगाड़ इनोवेशन को भारतीय नवाचार के टूलकिट के अनिवार्य भाग के रूप में खोजा जाने लगा है। साइकिल से बंधा टिफ़िन बॉक्स को भारतीय जुगाड़ का सरलतम और बहुतायत में देखा जाने वाला उदाहरण कह सकते हैं। पैसे बचाने, सौदेबाजी या किसी को किसी बात के लिए राज़ी करने में भी जुगाड़ शब्द का प्रयोग होता है। जुगाड़ का अभिन्न अंग मितव्ययिता और समावेशन को कह सकते हैं। 
 
किसी काम को करने के लिए अधिक विचार करना पड़ता हो, संसाधन, प्रबंधन या जटिलता शामिल होती हो तो उसे इस परिभाषा से बाहर रखा जाता है, मतलब जिसे करने में अधिक कष्ट होता हो, वह जुगाड़ नहीं कहलाएगा। 

शॉर्टकट अपना कर अधिक सुविधा प्राप्त करने वाला, अधिक जुगाड़ लगाने वाला जुगाड़ के रूप में अपनी कीर्ति कमाता है। लेकिन जैसा कि पहले कहा जुगाड़ अब नकारात्मक नहीं रहा और इसे राष्ट्रीय गौरव के रूप में भी देखा जाने लगा है, भले ही यह कहना विरोधाभासी लगता हो लेकिन अब किसी की जुगाड़ में रुचि होना उसे इनोवेटिव और नवाचार पर जोर देने वाला भी कहलाने लगा है।

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