बस,एक छोटा सा 'आभार' कम कर देगा जीवन के कई भार

प्रज्ञा पाठक
'आभार' अपने स्वरुप में एक छोटा सा शब्द है,किंतु असर में अत्यंत गहरा। यह एक ऐसा भाव है जो व्यक्त करने वाले की विनम्रता को दर्शाता है। आभार, निर्मल ह्रदय की ऐसी अभिव्यक्ति है जो सुनने वाले अर्थात् आभार ग्रहण करने वाले को भीतर तक गद्गद् कर देती है। जो लोग हमारे हितार्थ कोई कर्म करें,उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमारा नैतिक दायित्व है।
 
लेकिन विगत कुछ वर्षों में मैंने पाया कि आभार-भाव हमारे दैनिक आचरण से कम होता जा रहा है। हम ह्र्दय की उस संवेदना से दूर होते जा रहे हैं जो मानवीय सद्गुणों को जीती है और उन्हीं के उचित परिपाक से संतुष्टि पाती है।
 
बाह्य जीवन में तो हम पर्याप्त आभार दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए अपने शिक्षकों, सहकर्मियों,मित्रों या अधिकारियों के द्वारा हमारा कोई कार्य सधे,तो हम आभार भाव में दोहरे हुए जाते हैं।इसके पीछे मंशा संबंध स्नेहपूर्ण बने रहने की होती है ताकि भविष्य में भी यह लेनदेन बना रहे।
 
इस प्रकार का आभार प्रदर्शन स्वार्थपरक होता है क्योंकि यहां आभार की पृष्ठभूमि में ह्रदय का स्पर्श कम, निजी हित को वरीयता अधिक होती है। लेकिन शिष्टाचारवश इसे निभाना भी जरूरी है।

बहरहाल, यह तो बाहरी दुनिया की बात हुई। अब ज़रा घर-संसार की ओर चलें। यहां परिदृश्य खेदजनक है। पारिवारिक संबंधों में आभार भाव को मन से जीने में हम अक्सर चूक जाते हैं ।
 
बात को आरंभ करें 'माँ ' से। मां घर का वह एकमात्र प्राणी है जो आजीवन अपने पति, बच्चों समेत संपूर्ण ससुराल पक्ष , अतिथियों ,संतान की संतति आदि सभी का ख्याल रखती है। घर के दैनिक कार्यों से लेकर बाहर तक के अनेक कामों में वह सशक्त भूमिका का निर्वाह करती है। वह एक बेटी के रूप में जितना कार्य अपने पितृगृह में करती है , उससे कई गुना अधिक पतिगृह में करती है। लेकिन प्रायः प्रशंसा के दो शब्द सुनने के लिए तरस जाती है। हां, यह जरूर उसे सुनने को मिल जाता है कि 'यह सारे काम तो सभी महिलाएं करती हैं।'
 
मेरा कहना है कि हां ,सभी महिलाएं करती हैं,तो नई बात तो कुछ नहीं है। लेकिन जो घर में गर्म रोटी का सुख आपको दे, जो अस्वस्थ होने पर आपकी सेवा करे,जो आपके अतिथियों के लिए अन्नपूर्णा बन जाए, जो आप पर जरा-सी भी आंच जाने पर दुर्गा बन जाए, जो समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ाए और जो हर संकट में आपके साथ अडिग खड़ी हो,क्या वह आभार के दो शब्दों की भी अधिकारिणी नहीं है ?
 
सच में,बड़ा दुःख होता है जब अशिक्षित के साथ शिक्षित भी हर मां से 'लेना' ही अपना अधिकार समझते हैं और देने के लिए दो आभार-वचन से भी निर्धन हो जाते हैं।
 
इसी प्रकार पिता, जो समुचित गृह संचालन के लिए आजीवन अपना पसीना बहाता है,स्वयं त्याग करके अपनी संतानों को बेहतर से बेहतर सुख -सुविधाएं उपलब्ध कराता है,संतान की बारी आने पर वह 'यह तो आपका कर्तव्य था' कहकर विमुख हो जाती है। बेशक यह पिता का कर्तव्य होता है कि वह घर को सुव्यवस्थित ढंग से चलाए, लेकिन यदि उसके इस कर्म को आप आभार के दो बोलों से अभिषिक्त कर देंगे, तो उसे अपना संपूर्ण जीवन सार्थक लगेगा।
 
माता पिता के अतिरिक्त ऐसे अनेक क़रीबी रिश्तों में हम आभार व्यक्त करना विस्मृत कर जाते हैं,जो आभार की उर्जा मिलने पर अधिक स्नेहयुक्त होकर आपका ही बल बढ़ाते हैं। इनमें भाई ,बहन, सास ,ससुर ,बहू आदि शामिल हैं। भाई- बहन आपका मानसिक बल होते हैं और सास-ससुर सामाजिक बल। बहू को यदि पारंपरिक दृष्टि से न देखें तो वह आपके लिए बेटी का बल होती है ।
 
मैं तो कहूंगी कि अपने बच्चों के अच्छे कामों के लिए उनका भी आभार व्यक्त करना चाहिए ताकि वे सदाचरण के लिए प्रोत्साहित हों और आपको देखकर दूसरों का आभार व्यक्त करना भी सीखें।
 
एक अच्छी शुरुआत भले ही छोटे स्तर पर की जाए, लेकिन उसके परिणाम सदैव बेहतर होते हैं। आप दिल से 'अपनों ' का आभार व्यक्त तो कीजिए। फिर देखिए, उसकी सुगंध कैसे आपके रिश्तों को अद्भुत स्नेह से सींचती है और आपका जीवन कितना आनंद पूर्ण हो जाता है। 
 
तब आपके दुःख और तनाव का बोझ भी हल्का हो जाएगा क्योंकि अपनों का बल आपके कंधों पर आ जुटेगा। बस एक 'आभार' और शेष निर्भार!

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

घर में सुख-समृद्धि के लिए 10 ज्योतिष टिप्स और उपाय

Hindi diwas 2025 Speech: हिंदी दिवस पर भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार पाने के लिए ऐसे करें की तैयारी

gold import rules: विदेश से कितना सोना ला सकते हैं ड्यूटी-फ्री, जानिए पुरुषों और महिलाओं के लिए क्या हैं कस्टम के नियम

Hair Care: बालों और स्कैल्प के लिए कॉफी कितनी फायदेमंद है? जानें पूरे फायदे और नुकसान

समाज में लिव-इन रिलेशन को लेकर क्यों बढ़ा आकर्षण, जानिए शादी के बिना साथ रहने के फायदे, नुकसान और कानूनी पहलू

सभी देखें

नवीनतम

Onam Sadya: केरल की दावत ओणम सद्या बनाने की पारंपरिक विधि

Silent heart attack: डेस्क जॉब करने वालों में क्यों बढ़ रहा है साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा? जानिए लक्षण और बचाव के उपाय

Happy Teachers Day 2025: जीने की कला सिखाते हैं... शिक्षक दिवस पर अपने टीचर्स को ये बधाई सन्देश भेजकर व्यक्त करें उनके प्रति अपना सम्मान

Onam festival: ओणम त्योहार पर निबंध

Teachers Day: शिक्षक दिवस पर अपने टीचर्स को भेजें, ये 10 सबसे बेहतरीन संदेश

अगला लेख