मध्यभारत की पत्रकारिता में मानक है इंदौर प्रेस क्लब

डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'
मंगलवार, 9 अप्रैल 2024 (16:56 IST)
Indore Press Club
 
9 अप्रैल स्थापना दिवस विशेष

हिन्दी पत्रकारिता की राजधानी कहा जाने वाला इंदौर अपनी हर क्षेत्र की यात्रा का साक्षी है। इस शहर में पत्रकारिता अपने पेशेवरपन से ज़्यादा अपनेपन से संचालित रही है। शहर की समस्याओं को सत्ता के केन्द्र से लेकर निकाय की मेज़ तक पहुंचाने का माद्दा रखने वाले पत्रकारों की तपस्थली के रूप में इंदौर प्रसिद्ध भी है।

राहुल बारपुते, प्रभाष जोशी, राजेन्द्र माथुर, माणकचंद वाजपेयी मामाजी, शरद जोशी, डॉ. प्रभाकर माचवे, अजित प्रसाद जैन, दिनेश अवस्थी से लेकर जवाहर चौधरी, डॉ. वेदप्रताप वैदिक, प्रकाश हिन्दुस्तानी जैसे मूर्धन्य पत्रकारों व सम्पादकों के तप-बल से सिंचित यह उर्वरा भूमि अपने यश से सम्पूर्ण भारत के मानचित्र में दैदीप्यमान है।
 
वैसे तो 1957 में 30 लोगों ने इंदौर की पत्रकारिता के एक संगठन की परिकल्पना की और इसी कड़ी में इंदौर के पत्रकारों के प्रतिनिधित्व के लिए 9 अप्रैल 1961 को मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री भगवंतराव मंडलोई ने इंदौर प्रेस क्लब का उदघाटन किया।

स्थानीय हिन्दी साहित्य समिति के सभागार में प्रदेश के तात्कालिक शिक्षा मंत्री डॉ. शंकरदयाल शर्मा की अध्यक्षता, राज्य के तात्कालिक वित्तमंत्री मिश्रीलाल गंगवाल व नगर निगम इंदौर के तात्कालिक महापौर आर.एन. जुत्शी के आतिथ्य में इंदौर प्रेस क्लब का गठन किया गया। नगर निगम इंदौर के तात्कालिक जनसंपर्क अधिकारी महेन्द्र तिवारी प्रेस क्लब की तदर्थ समिति के संयोजक थे। अस्थाई रूप से प्रेस क्लब कार्यालय एवं गतिविधियों के लिए जूना राजवाड़ा स्थित सूचना विभाग के एक कक्ष को उपयोग में लिया गया।
 
यहां पर 8 मई 1962 को कार्यालय खोला गया जो प्रतिदिन संध्या 6 बजे से 10 बजे तक खुला रखा जाता था। लेकिन उस दौरान अतिथियों के आगमन पर कार्यक्रम रखने की समस्या हो जाती थी। उसी दौरान 19 मई 1962 को जब प्रेस क्लब ने अपने बीच तत्कालीन रक्षामंत्री कृष्ण मेनन को बुलाया तो कार्यक्रम मेडिकल कालेज के सभागार में रखा गया।
 
स्थापना के दो माह उपरांत 1 जुलाई 1962 को प्रेस क्लब के प्रथम चुनाव हुए, जिसमें सर्वसम्मति से नईदुनिया के प्रधान सम्पादक राहुल बारपुते प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में 11 वर्ष तक प्रेस क्लब संचालित भी हुआ। प्रथम कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष अजित प्रसाद जैन, सचिव ओ.पी. तनेजा, संयुक्त सचिव महेन्द्र त्रिवेदी और कोषाध्यक्ष सुमन वर्मा बने।
 
कुछ वर्षों बाद 1 जनवरी 1965 को नगर निगम ने स्टेडियम में एक कमरा प्रेस क्लब को किराए पर दिया, जिसका किराया 11 रुपए प्रतिमाह हुआ करता था। एम.टी.एच कम्पाउंड स्थित वर्तमान भवन में जुलाई 1968 में प्रेस क्लब को मिला। जिसका किराया 216 रुपए प्रतिमाह था। कालांतर में तात्कालिक उप मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के सहयोग से 1971 में इसी भवन को एक रुपए वार्षिक की लीज़ पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने प्रेस क्लब को आवंटित कर दिया। 
 
उस दौरान प्रेस क्लब की सदस्यता राशि भी एक या दो रुपए ही थी, उसमें प्रेस क्लब के लिए साधन जुटाने के लिए जनता से सामग्री इकट्ठी की गई, उदारमना शहरवासियों ने उसमें सहयोग किया। अपनी स्थापना के आरंभिक वर्षों में प्रेस क्लब में पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित होते रहते थे। बाबा राहुल बारपुते जी ने 11 वर्षों तक प्रेस क्लब का नेतृत्व किया, बीच में 1968 में एक वर्ष दिनेश अवस्थी जी प्रेस क्लब के अध्यक्ष रहे। 1974 में राजेंद्र माथुर साहब प्रेस क्लब के अध्यक्ष बने।
 
व्यावसायिक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 1968 में मई के अंतिम सप्ताह में 'समाचार संकलन व संपादन' की सात दिन तक वर्कशॉप को प्रेस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित किया गया था। 

इसी तरह राष्ट्रीय विपत्तियों के समय भी इंदौर प्रेस क्लब ने हमेशा अपने अस्तित्व का परिचय दिया, नवंबर 1977 को आन्ध्रा में आए समुद्री तूफ़ान के बाद प्रेस क्लब ने तूफ़ान पीड़ितों के लिए शहर में जुलूस निकाला और हाथ में डिब्बा लेकर धनसंग्रह किया, उस दौरान लगभग 3682 रुपए की राशि संग्रहित हुई, जिसे तत्कालीन संभागायुक्त राजकुमार खन्ना के माध्यम से मुख्यमंत्री कोष में भेजने के लिए प्रदान की गई व इसके साथ एकत्रित अनाज व कपड़े भी दिए गए। इसी तरह 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान प्रेस क्लब के सदस्यों ने 1000 रुपए व 100 ग्राम सोना जुटाकर तत्कालीन कलेक्टर को दिया।
 
इंदौर प्रेस क्लब सदा से ही दूरदृष्टि का परिचायक रहा है। 1965 में भारत-पाक युद्ध के समय अफ़वाहें चरम पर थीं, तब प्रेस क्लब ने अपना सूचना केन्द्र भी विकसित किया था। कालांतर में 1981 के आसपास इंदौर प्रेस क्लब ने इंदौर विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पाठ्यक्रम आरंभ करने के लिए भी प्रयास किए। प्रेस क्लब का विधान 21 मई 1981 को स्वीकृत हुआ, तत्पश्चात संस्था का पंजीयन 17 जून 1981 को हुआ। अप्रैल 1984 में प्रेस क्लब द्वारा पत्रकार कल्याण कोष की स्थापना की गई। इसी के साथ प्रेस क्लब परिसर में पुस्तकालय निर्माण व बगीचा बनाने के लिए भी तात्कालिक अध्यक्ष एवं कार्यसमिति ने कदम उठाए।
 
6 अगस्त 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री माधवराव सिंधिया के आतिथ्य में प्रेस क्लब भवन के विस्तार कार्य का शिलान्यास हुआ। धीरे-धीरे इंदौर प्रेस क्लब शहर के मध्य आकार लेने लगा। इंदौर प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष बाबा राहुल बारपुते जी के शब्दों में कहें तो 'प्रेस क्लब की आगामी यात्रा में अब गुणवत्ता का और अधिक ख़्याल रखा जाना चाहिए, इसी से हम पत्रकारिता की भी उन्नति करने में सहभागी होंगे।'
 
इसी के साथ इंदौर प्रेस क्लब के विकास की इबारत का लिखना विस्तारित हुआ, वर्ष 2003 में भवन संबंधित कार्य आरंभ हुए, फिर 11 फरवरी 2008 को वसंत पंचमी के अवसर पर 50 लाख रुपए की लागत से निर्मित नवीन भवन का लोकार्पण हुआ जिसमें 3 सभागारों का निर्माण किया। इसके बाद इंदौर प्रेस का परिसर जागृत और प्रांजल हो गया।
 
तब से लेकर आजतक इंदौर प्रेस क्लब लगातार पत्रकारों व पत्रकारिता के उत्थान के लिए सक्रियता से कार्यरत है, हमेशा पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, व्याख्यानमाला, सम्मान समारोह, प्रेस से मिलिए, खेल स्पर्धाएं, कैरम, शतरंज, टेबल टेनिस की स्पर्धाएं आयोजित करना, पत्रकारों के बच्चों के लिए ख्यात कार्टूनिस्ट स्माइल लहरी जी कार्टून की वर्कशॉप आयोजित करना, नाट्यकला, संगीत संबंधित आयोजन लगातार प्रेस क्लब करता रहता है।

क्लब द्वारा कोरोना के आपदा काल में पीड़ित पत्रकार साथियों की हर संभव सहायता करना, अपने सदस्य ज़रूरतमंद पत्रकारों के लिए राशन किट इत्यादि देना, पत्रकार कल्याण कोष के माध्यम से इलाज हेतु राशि उपलब्ध करवाना, ऐसे कई कार्य करवाए जाते रहे हैं। वर्तमान में पत्रकारों के लिए सुविधायुक्त कम्प्यूटर कक्ष, पुस्तकालय या कहें संदर्भ कक्ष स्थापित हैं।
 
इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष के रूप में अब तक राहुल बारपुते (1962 से 1973, 1968 छोड़कर), दिनेश अवस्थी (1968), राजेन्द्र माथुर (1974 से 1978), माणिकचंद वाजपेयी 'मामाजी' (1978 से 1980), कृष्णकुमार अष्ठाना (1981 से 1983), गोकुल शर्मा (1984 से 1986), महेश जोशी (1986 से 1987), विद्याधर शुक्ला (1987 से 1989) श्री जयकृष्ण गौड़ (1989 से 1991) शशीन्द्र जलधारी (1991 से 1993), ओमी खंडेलवाल (1993 से 2002), जीवन साहू (2002 से 2003), सतीश जोशी (2003 से 2005), विकास मिश्र (2005 से 2006), प्रवीण खारीवाल (2007 से 2016), अरविंद तिवारी (2016 से वर्तमान) रहे हैं।
 
वर्ष 2022 में इंदौर प्रेस क्लब की वर्तमान कार्यकारिणी में अध्यक्ष अरविंद तिवारी, उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी व दीपक कर्दम, महासचिव हेमंत शर्मा, सचिव अभिषेक मिश्रा, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी व कार्यकारिणी सदस्य में अंकुर जायसवाल, सुश्री करिश्मा कोतवाल, प्रवीण बरनाले, विपिन नीमा, राहुल वाविकर, अभय तिवारी व सुश्री प्रियंका पाण्डेय कार्यरत हैं।
 
इंदौर प्रेस क्लब की पहचान मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में महनीय है, अपने पत्रकार साथियों की चिन्ता करने, उनके सुख-दुःख में सदैव साथ रहने की यह जिजीविषा प्रेस क्लब को अलग बनाती है। वर्तमान अध्यक्ष अरविंद तिवारी के नेतृत्व में क्लब ने कई स्तरीय आयोजन, प्रशिक्षण, साहित्यिक कार्यक्रमों के मानक भी तय करें, कोरोना जैसी विभीषिका के दौरान भी क्लब अपने पत्रकार साथियों का संबल बना। इसीलिए भी मध्यभारत की पत्रकारिता में मानक है इंदौर प्रेस क्लब।
 
[पत्रकार एवं लेखक डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा देश में हिन्दी भाषा के प्रचार हेतु हस्ताक्षर बदलो अभियान, भाषा समन्वय आदि का संचालन कर रहे हैं]
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है। यहां पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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