करवा चौथ संस्मरण : जब सताया चंद्रमा ने

अंजू निगम
बात उन दिनों की हैं जब मेरे पतिदेव की पोस्टिंग देहरादून में थी। अक्सर होता कि करवा चौथ वाले दिन आसमान बादलों से ढंका रहता और देर रात दिखाई पड़ता। मुझे इस बात की कुछ आदत ही हो चली थी। पर सुबह से रखा व्रत शाम ढलते ही अपना असर दिखाने लगता। दिन तो पूजा की तैयारी, अपनी तैयारी और खाना बनाते निकल गया। पर शाम जब रात की चादर ओढ़ने लगी तो पेट भी बगावत पर उतरने लगा। 
 
नजरें रह रहकर आसमान पर उठती, भगवान अब तो बादलों का साया हटे और चांद अपने सौम्य रूप में दर्शन दें। पर चां द तो रुठे बैठे थे। पतिदेव, मैं और बच्चे कमरे से छत और छत से कमरे के चक्कर लगा कर हार गए पर चांद बादलों की ओट में छिपे रहें।
    
रात दस बज रहे थे। मैं छत पर गई तो दूर चांद पूरी ओजस्विता से चमक रहे थे। मैंने झट-पट पूजा की, अर्घ्य दिया और आ प्रसाद खाया। पर मजा तो दूसरे दिन का रहा, जब पता लगा कि जिस गोलाकार रोशनी को चांद समझ मैं पूज आई थी, दरअसल वो तो दूर पहाड़ी गांव में जल रहा हाई वॉट का बल्ब था। करवा चौथ बहुत आई पर ऐसी अनोखी नहीं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता... रक्षाबंधन पर भेजिए ये भावनात्मक संदेश और कहिए Happy Rakshabandhan

भाई-बहन का रिश्ता: बढ़ती सुविधा, घटती दूरी

वो कहानी, जो हर भारतीय को याद है: 15 अगस्त की गाथा

रक्षा बंधन पर इस बार बाजार में आई है ये 5 ट्रेंडी राखियां, जरूर करें ट्राई

डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव के लिए अपनाएं ये जरूरी उपाय, मच्छरों से ऐसे करें खुद की सुरक्षा

सभी देखें

नवीनतम

धागों से बांधा है अपने दिल का अहसास... इस रक्षाबंधन भेजिए भावनाओं से सजे ये बधाई संदेश

विश्‍व आदिवासी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

पहली बार PM की सुरक्षा में तैनात हुईं महिला SPG अफसर, जानिए कौन हैं अदासो कपेसा और कितना है उनका वेतन

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के 10 रोचक तथ्य जानें

लव कुश जयंती 2025: जानें कौन थे और कैसा था इनका जीवन

अगला लेख