प्यार, विश्वास, मुस्कान, स्वतंत्रता और क्षमा की राखियां बांधें अपने भाई को...

स्मृति आदित्य
यह भारत में ही संभव है कि एक महीन रेशम डोरी से दिल की अनंत गहराइयों में छुपा प्यार अभिव्यक्त हो सके। भाई और बहन के अनमोल रिश्ते को समर्पि‍त यह त्योहार मन में उमंग की सुरीली घंटियां बजा देता है। यूं भी सावन मास सौन्दर्य का भीना मौसम माना गया है। यह मौसम साज-श्रृंगार और प्यार-अनुराग की कलाभिव्यक्तियों से सजा होता है। यही वजह है कि कलाई पर बंधने वाली राखी का सौन्दर्य रिश्ते की सादगी पर जीत जाता है। 
 
इस मोहक मनभावन त्योहार पर इस बार बांधें कुछ ऐसी राखियों को जो हर भाई-बहन के जीवन जीने का अंदाज बदल दें: यह राखी है प्यार, विश्वास, मुस्कान, स्वतंत्रता और क्षमा की। 
 
प्यार की राखी : यह राखी सलमा-सितारे और मोतियों से नहीं सजी है। यह राखी, अपने मन के आंगन में खिलने वाले प्यार के मासूम फूल से बनी है। इसे बांधने और बंधाने की यही शर्त है कि बहन और भाई दोनों यह कसम खाएं कि उनका प्यार कभी नहीं बदलेगा। हर मौसम, हर समय, हर परिस्थिति में उनके प्यार का फूल तरोताजा रहेगा। चाहे बहन पराए आंगन की तुलसी बन जाए, चाहे छमछम पायल छनकाती दुल्हन, भाई ले आए। दिल की गहराई में बसा प्यार निरंतर बढ़ता रहे, फलता-फूलता रहे। यह राखी इस मंगल त्योहार पर यही कसम चाहती है। दोनों के बीच महकते प्यार का फूल पैसों की तपिश से कभी ना मुरझा पाए। 
 
विश्वास की राखी : यह राखी बड़ी महीन लेकिन मजबूत डोरी से बनी है। इस राखी की यही शर्त है कि विश्वास की रेशम डोर दुनिया के ताने-बाने में कभी ना उलझ पाए। यानी हर हाल में भाई का बहन के प्रति और बहन का भाई के प्रति विश्वास बरकरार रहे। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि दोनों एक-दूसरे के प्रति विश्वास को टूटने नहीं देंगे। अकारण एकदूजे पर अविश्वास की काली परत चढ़ने नहीं देंगे। अगर किसी एक से विश्वास की दीवार चटकती भी है तो उसकी परिस्थिति को उदार मन से समझने का प्रयास करेंगे। इस राखी को बांधते हुए कसम लें कि एकदूजे का विश्वास बनेंगे। 
 
मुस्कान की राखी : यह राखी वचन चाहती है कि हर बहन के होंठों पर भाई का नाम सुनकर मुस्कान थिरक उठे। हर भाई की स्मृतियों के झरोखे से जब बहन झांके तो उसके चेहरे पर भी गुलाबी मुस्कुराहट का छींटा सज उठे। यह तभी संभव है जब दोनों एक-दूसरे का मन ना दुखाने का संकल्प लें। कभी भूल से भी ऐसे कड़वे बोल जुबान पर ना लाएं कि हमेशा के लिए बहन या भाई का कलेजा बींध जाए। जब त्योहार आए तो दूरियों के पूल पार ना किए जा सकें, होंठों की मुस्कान की जगह आंखों से रिश्ते बहने लगें या नफरत का आवेग कोपभवन के दरवाजे ना खोलने दें। इस राखी का यही कहना है कि वचन दो भाई-बहन दोनों सदैव एक-दूसरे की मुस्कान का ख्याल रखेंगे। 
 
स्वतंत्रता की राखी: यह राखी आज के आधुनिक भाई-बहन के लिए विशेष रूप से बनवाई गई है। युवा होते भाई-बहन के बीच इस राखी ने अपनी अनिवार्यता सिद्ध की है। यह राखी वचन चाहती है, एक भाई होने के नाते तुम्हें इतनी स्वतंत्रता देता हूं कि तुम अपने निर्णय खुद ले सको और मैं उस निर्णय का सम्मान कर सकूं। हम दोनों एक दूजे की आजादी को समझें और उसका आदर करें। हम एकदूजे को इतनी स्वतंत्रता देंगे कि अपनी जिंदगी के सुनहरे युवा लम्हें खुशियों के साथ बटोर सकें। मनोरंजन की हर परिभाषा हम दोनों के लिए एक होगी। बढ़ाइए हाथ इस दमकती स्पेशल स्मार्ट राखी के लिए। 
 
क्षमा की राखी : यह राखी आज के तेजी से बदलते युग में हर भाई की कलाई पर सजना आवश्यक है। साथ ही हर बहन की थाली में भी इसे चमकना होगा। यह राखी हर भाई-बहन को उसका मनुष्य होने का हक दिलाती है। हम सभी मानव हैं, हम सब से गलतियां संभव है। एक जरा सी फिसलन जीवन भर का दाग बन जाती है। यह राखी चाहती है कि अगर किसी बहन से कुछ ऐसा हुआ है जो समाज के नियमों के खिलाफ है तो भी भाई उसे क्षमा करने की हिम्मत दिखाएं। भाई से गलती हुई हो तो 'खाप' जैसे रिवाजों के खिलाफ यह राखी खुशी का आशीष चाहती है। इन राखियों का बंधन चिरस्थायी रहे, इस शुभ पर्व पर यही कामना है। 

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