सेल्फी का शौक उतना बुरा भी नहीं

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी
# माय हैशटैग
 
मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों ने एक महत्वपूर्ण अध्ययन करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि सेल्फी के शौक को अगर दीवानगी की हद तक न अपनाया जाए, तो यह उतना बुरा नहीं है। सेल्फी को लेकर आए दिन खबरें और लेख छपते रहते हैं, जिसमें खतरनाक तरीके से सेल्फी लेने के नुकसान बताए जाते हैं। कई कार्यालयों और शिक्षा संस्थाओं में तो मोबाइल पर ही प्रतिबंध है। यह भी कहा जाता है कि सेल्फी के शौक लोगों को आत्मकेन्द्रित और आत्ममुग्ध बना देते हैं। 
 
कैलिफोर्निया में हुई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर निहायत ही निजी क्षणों की सेल्फी नहीं ली जाए, सेल्फी के लिए खतरे न उठाए जाएं और नियमों की अवहेलना न की जाए, तो सेल्फी का शौक उतना बुरा नहीं है। 
 
शोधकर्ताओं ने कहा कि सेल्फी लेना और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना भी एक तरह का संवाद है। जब आप युवा होते हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार को और अपनी मित्र मंडली को एक विशेष स्थान पर देखने की अपेक्षा करते हैं। सेल्फी खींचकर और उन्हें पोस्ट करके आप अपना एक अलग समुदाय बनाने की कोशिश में रहते हैं। इसमें गलत बात कुछ भी नहीं है। 
 
शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली 87 प्रतिशत सेल्फी 35 साल से कम के लोगों की होती है। डिजिटल फोटोग्राफी का युग आने के पहले फोटो खींचना एक महंगा शौक था। उसमें ज्यादा मेहनत लगती थी और समय भी लगता था। धीरे-धीरे ऐसे कैमरे आए, जो तत्काल फोटो खींचकर उनको प्रिंट करने में सक्षम थे, लेकिन ऐसे फोटोग्राफ को किसी और के साथ शेयर करना आसान नहीं था। मोबाइल कैमरे और डिजिटल कैमरे आने के बाद जो काम पहले घंटों या कई मिनटों में होता था, अब वह केवल चंद सेकंड में ही हो सकता है। इससे सेल्फी के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी। 
 
सेल्फी के चलन के पीछे उसकी लागत भी एक कारण है। लगभग मुफ्त में अपनाया जाने वाला यह शौक किसी अतिरिक्त खर्च की अपेक्षा नहीं करता। पहले लोग निरुद्देश्य ही सेल्फी खींचकर शेयर करते हैं, बाद में वे उससे संतुष्ट नहीं होते और चाहते हैं कि कुछ ऐसी सेल्फी खींची जाए, जिनका कोई उद्देश्य हो, जो यह बताए कि वे किसी खास जगह पर हैं या किसी खास व्यक्ति के साथ हैं। या फिर वे कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो बहुत ही विशिष्ट है।
 
सोशल मीडिया आने के पहले शायद ही कोई व्यक्ति रोल वाले कैमरे से इस तरह के फोटो खींचकर अपने परिचितों को भेजता होगा कि आज मैंने नाश्ते में सेंडवीच खाया या नींबू वाली चाय पी। अब भी लोग यह कार्य करते हैं, लेकिन जल्दी ही उन्हें यह बात समझ में आती है कि उनके मित्रों की रुचि इस बात में ज्यादा नहीं है कि उन्होंने क्या खाया? 
 
ऐसी ही एक रिसर्च जार्जिया में हुई, जिसमें नतीजा निकला कि सेल्फी का उपयोग लोग दिखावे के लिए करते हैं। अपनी विशिष्टता बताने के लिए। मैंने यह खाया, मैंने यह पहना, मैं इस शख्सियत के साथ हूं, मैंने यह स्थान घूमा आदि। शोधकर्ताओं ने पाया कि दिखावे की इन सेल्फी को भी सोशल मीडिया पर 38 प्रतिशत ज्यादा पसंद किया गया। जब आप अपनी सेल्फी पोस्ट करते है, तब आपके मित्र और करीबी लोग सहमत नहीं होते हुए भी उसे लाइक कर देते हैं, यह बताने के लिए कि हम आपको जानते हैं या हमने आपकी तस्वीर देख ली है। सेल्फी वाली पोस्ट को इस तरह ज्यादा दर्शक मिलते हैं। 
 
शोधकर्ताओं का दावा है कि जब कोई व्यक्ति कैमरे की तरफ देखता है, तब वह वास्तव में अपने ऑडियंस की तरफ देखता है। जैसे ही आप किसी व्यक्ति की सेल्फी देखते है, वैसे ही आपका दिमाग आपको इंगित करता है कि फलां व्यक्ति आपको देख रहा है। चाहते या न चाहते हुए भी लोग ऐसी तस्वीरों पर लाइक के बटन को क्लिक कर देते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि किसी अन्य ऑब्जेक्ट की तुलना में सेल्फी वाली पोस्ट पर कमेंट्स भी ज्यादा मिलते है। जब कोई व्यक्ति किसी खास स्थान पर जाकर सेल्फी लेता है और उसे पोस्ट करता है, तब उस पोस्ट को देखने वाले लोगों के मन में भी उस स्थान की यात्रा की छवियां उभरने लगती है। सेल्फी आपके मित्रों को यह बताती है कि आप उनके साथ हैं और उनके साथ समय बिताना चाहते हैं। 
 
शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की सेल्फी एक तरह से उस व्यक्ति के बारे में सूचना होती है। बगैर लिखे और बगैर पढ़े यह काम तेज गति से हो जाता है। सेल्फी लाइक करने के लिए लोगों को सोचना नहीं पड़ता। 
 
इन दिनों सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई सेल्फी और मानसिक स्वास्थ्य के संबंधों को लेकर अनेक अध्ययन हो रहे हैं। इस बात की भी पड़ताल हो रही है कि सेल्फी से लोगों के मन में डिप्रेशन का भाव तो नहीं आ रहा। अनेक लोग सेल्फी को फोटोशॉप करके सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। इससे उनके मन में यह भाव आता है कि वे भी प्रेजेंटेबल है। वास्तव में सेल्फी बड़े विषयों से आपके ध्यान को बांट देती है और छोटे स्तर पर ले आती है। जहां आप लोगों से सीधे जुड़ जाते हैं। अधिकांश लोग आपके परिचित और मित्र होते हैं। वे आपका सामीप्य पाकर खुश हो जाते हैं। 
 
अगर आपके मित्र खूब सेल्फी पोस्ट करते हैं, तो उससे चिढ़ने की जरूरत नहीं, जी भरकर लाइक्स और कमेंट्स कीजिए। वे आपकी नजदीकी महसूस करेंगे और आप उनकी। इसके लिए दिमाग पर ज्यादा जोर देने की जरूरत नहीं।
 

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