हम इंसान इन बेजुबानों के प्रति और कितना क्रूर होना चाहते हैं!

नवीन रांगियाल
कोरोना वायरस ने दुनियाभर में यह तो सिखा ही दिया है कि जिंदगी कितनी अनिश्‍चित है। हमारे भावनात्‍मक स्‍तर को भी इस त्रासदी ने बदलकर रख दिया है, लेकिन ऐसी भयावह त्रासदी के बीच भी हम संवेदनशील होना नहीं सीख पाए।

खासतौर से जानवरों के प्रत‍ि इंसान जिस तरह से दिनोंदिन क्रूर होता जा रहा है यह बहुत ही दिल दुखाने वाला और मन खराब करने वाला है। ज्‍यादा दिल दुखाने वाली बात इसलिए है कि फ‍िलहाल कुछ‍ दिनों से इंसान ने ऐसे जानवरों के प्रति अपनी जाहिलता और क्रूरता जाहिर की है जो पूरी तरह से इंसानों के सहारे अपना जीवन जीते हैं।


पिछले दिनों खाने की तलाश में आई एक भूखी गर्भवती हथि‍नी को पटाखें खि‍लाकर जिस क्रूरता की प‍राकाष्‍ठा का प्रमाण सभ्‍य कहलाने वाले इंसान ने दिया है, उससे उसके इंसान होने के सारे दावे और सिध्‍दांत ढह जाते हैं।
अभी उस घटना का दुख छटा ही नहीं था कि हाल ही में एक हाथी के ऊपर जलता हुआ टायर फेंक कर इंसान ने एक बार फ‍िर से अपने न सिर्फ संवेदनहीन होने बल्‍कि अपने असभ्‍य और क्रूर होने के भी बहुत भयावह सबूत दिए हैं।

इंसानों के भरोसे और सहारे रहने वाले कुत्‍तों के प्रति आए दिन क्रूरता की कई खबरें मीडि‍या और सोशल मीडि‍या में आती ही रहीं हैं।

इन घटनाओं को जानवरों के प्रति भयावह हिंसा ही नहीं कहा जा सकता, बल्‍कि इससे ऐसी घट‍िया सोच उजागर हुई है जिससे मनुष्‍य होने पर शर्म की जानी चाहिए।

दुनियाभर में जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए कई संगठन चल रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए अभि‍यान चलाए जा रहे हैं, वहीं भारत में क्रूरतम तरीकों से जानवरों की हत्‍याएं पश्‍चिती सभ्यता को भी हिला दे रही है। हाथी पर जलता हुआ टायर फेंककर उसे मार देने की घटना को दुनिया के कई बडे अंग्रेजी अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशि‍त किया और उसकी आलोचना की।

लेकिन यह हमारे लिए इसलिए शर्म की बात हो जाती है क्‍योंकि भारत में इंसान और जानवरों के साझा जीवन को पूरी दुनिया ने देखा है। यहां कुत्‍ते हमेशा से मनुष्‍यों के साथ रहे, गाय की पूजा की जाती है, बंदरों, कबूतरों और कौवों को दाना पानी देने को पुण्‍य का काम माना जाता है। हाथी को तो साक्षात भगवान गणेश का रूप माना जाता है और उसकी पूजा की जाती है।

मनुष्‍य और जानवरों के बीच ऐसे रिश्‍ते के बाद भी ऐसी घटनाओं को देखना और सहन कर पाना बेहद मुश्‍किल है। यह बहुत ही क्रूर मानसिकता का काम है। जो आने वाले दिनों में और भी गंभीर हो सकती है, ऐसे में सरकार और स्‍था‍नीय प्रशासन को हर तरह के जानवरों की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्‍च‍ित करना चाहिए। और ऐसी क्रूर मानसिकता वाले इंसानों पर ठीक उसी तरह कार्रवाई होना चाहिए जो हत्‍या और बलात्‍कार के लिए मुकर्रर है।

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