#वेबदुनियादिवस : मुबारक, वेबदुनिया के 18 वर्ष

वर्तिका नंदा
-वर्तिका नंदा
बधाई। खुशी के इस मौके पर वेबदुनिया को मुबारकबाद। वेबदुनिया के साथ मेरा पहला जुड़ाव कुछ साल पहले हुआ। वैसे  भी कौन ऐसा पत्रकार होगा जो वेबदुनिया को नहीं जानता होगा। नई पत्रकारिता के दौर में वेबदुनिया ने पूरे देश में इस  बात का विश्‍वास पुख्‍ता किया कि हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं भी तकनीक के साथ मजबूत और स्थायी पत्रकारिता कर  सकती है। तकनीक के हर नए कोण को सीखते और अपनाते हुए इंदौर में बैठी इस टीम ने यह साबित कर दिया है कि  संकल्प और जानकारी हो तो कहीं से भी खबरों के संसार को पिरोया जा सकता है।
 
इसी वेबदुनिया के साथ करीब दो साल पहले एक प्रयोग किया जिसका नाम है-मीडिया दुनिया। यह प्रयोग जयदीप  कर्णिक की वजह से ही संभव हो सका। जयदीप को मैंने हमेशा सीखते हुए पाया और सीखने की इसी प्रवृत्ति ने प्रेरित  किया कि नए-नवेले पत्रकारों को जोड़कर पत्रकारिता का स्कूल शुरू किया जाए। मीडिया दुनिया की संपादक के तौर पर  बहुत-सी नर्इ उम्‍मीदें जुड़ीं। हमने पूरे देश से नए पत्रकारों को जोड़ने का प्रयास किया जिसमें हिन्‍दी के पत्रकार भी थे  और अंग्रेजी के भी।
 
मीडिया दुनिया अलग-अलग मौसमों से गुजरी। इसके तहत उन तमाम खबरों को भी जगह देने की कोशिश की गई  जिसके लिए मुख्‍यधारा की मीडिया के पास अक्‍सर जगह नहीं होती। वैसे कहने को हिंदुस्‍तान में हर रोज एक लाख से  ज्‍यादा अखबार और समाचार पत्र छपते हैं और यह देश सबसे ज्‍यादा टीवी चैनलों का देश है, लेकिन इसके बावजूद  सरोकारी पत्रकारिता को जगह देने में सब तैयार नहीं होते। हम तकनीक में बहुत आगे हैं, लेकिन सरोकार में पीछे।
 
ऐसे में वैकल्पिक पत्रकारिता उम्मीद का चिराग है। जितनी आशावादिता, तत्‍परता और तेजी मैंने इस संसार में देखी है,  वैसी बहुत कम अखबारों में और मीडिया जगत के बाकी प्रोडक्ट्‍स में कम ही देखने को मिली। वेबदुनिया और मीडिया  दुनिया नई बात को सुनने, जानने और फिर उसे अपनाने के लिए हमेशा तैयार रहा है और यही इसकी सफलता की  बहुत बड़ी पूंजी है। हालांकि मेरे काम के केंद्र में जेलें प्रमुख हैं और तिनका तिनका जेलों का केंद्र है और जेलें भी  मीडिया के सरोकार से परे हैं, लेकिन तब भी वेबदुनिया इससे जुड़े समाचारों को सम्मानजनक जगह देता रहा है।
  
अभी यह वेबदुनिया के जश्न की शुरुआत है। उम्‍मीद है कि आने वाले समय में यह एक ऐसा मंच बनेगा जो सबसे  अलग होगा। इसमें कॉलेज के छात्र जुड़ेगें और ये मुहिम स्‍कूलों तक भी पहुंचेगी। वे सब बढ़ेंगे, रचेंगे और अपनी तरह  की नई कहानियां भी लिखेंगे। वे गांवों को अपनी नजर से देखेंगे और उनकी अनकही दास्तान को रिपोर्ट करेंगे। इसके  जरिए पत्रकारिता की दुनिया के नए अध्‍याय खुलेंगे।
 
जो संस्‍थान प्रयोग करते हैं, आशावान बने रहते हैं, वे हमेशा आगे बढ़ते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि जिन  मीडिया संस्‍थानों ने बार-बार नए प्रयोग किए और बड़े स्‍तर पर लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की, उनकी यात्रा  हमेशा अलग रही। इसलिए मुझे यह पूरी उम्‍मीद है कि वेबदुनिया का यह वृक्ष तेजी से विस्तार पाएगा और देश के लिए  एक बड़ी मिसाल कायम करेगा। 
 

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