BHU के 19 वैज्ञानिक विश्व की 2 फीसदी सूची में शामिल

Scientist
Webdunia
बुधवार, 4 नवंबर 2020 (16:11 IST)
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने अपने यहां के 19 वैज्ञानिकों के विश्व की शीर्ष 2 फीसदी जानेमाने वैज्ञानिकों की सूची में शामिल होने का दावा किया है। बीएचयू के जनसंर्पक अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने बुधवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त यहां के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को नए शिखर पर पहुंचाया है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन के हवाले से ये जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अध्ययन अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोधपत्र ‘प्लोस बायोलॉजी’ में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में विभिन्न क्षेत्रों में विश्व के शीर्ष 1,00,000 वैज्ञानिकों के नाम शामिल किए गए हैं। साथ ही साथ विभिन्न विषयों में शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की भी सूची तैयार की गई है।

भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय से 19 वैज्ञानिकों को शामिल होने पर खुशी जाहिर करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि विभिन्न विषयों में विश्व के दो शीर्ष फीसदी वैज्ञानिकों की सूची शामिल होना यहां के हर किसी के लिए गौरव की बात है।
उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय देश के उन चुनिंदा विश्वविद्यालयों में से एक है जिससे इतनी बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों को इस प्रतिष्ठित सूची में जगह पाने में सफलता मिली है।(वार्ता)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कौन हैं महरंग बलोच, जिनसे पाकिस्तानी फौज भी खाती है खौफ?

kunal kamra controversies : कुणाल कामरा कैसे बने चर्चित कॉमेडियन, विवादों से रहा है पुराना नाता

सुनिता विलियम्स की वापसी अटकी थी राजनीति के कारण

सांसदों का वेतन बढ़ा, 34 हवाई यात्राएं, 50 हजार यूनिट, जानिए आपके माननीयों और क्या-क्या मिलता है फ्री

क्या प्रेंग्नेंट है मुस्कान, टेस्ट से सामने आएगा सच, साहिल ने मांगा सरकारी वकील, जानिए कैसी बीत रही हैं दोनों की रातें

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: बजट से पहले CM रेखा गुप्ता ने लिया हनुमान जी का आशीर्वाद

भारत की पाकिस्तान को लताड़, खाली करना होगा PoK

महामंडलेश्वर यतिंद्रानंद गिरि बोले, मुगल जिस देश से आए थे उनकी कब्र को वहीं पटक देना चाहिए

एकनाथ शिंदे से माफी नहीं मांगेंगे कुणाल कामरा, क्यों लिया अजित पवार का नाम?

सरकारी फसल बीमा में जरूरतमंद किसानों को होता है नुकसान

अगला लेख