फोटो: एन पाण्डेय
धार्मिक स्थलों पर आए दिन हादसे होते हैं, हर बार इनके पीछे कोई न कोई लापरवाही सामने आती है। लेकिन जिम्मेदार इन लापरवाहियों से सबक नहीं लेता है। इस बार भी उत्तराखंड में यही हुआ। इस हादसे के बाद लापरवाही की बात सामने आ रही है। इतना ही नहीं, मौसम खराब होने के साथ ही यहां बादल फटने की घटनाएं होती हैं। वहीं इस इलाके में सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर का संचालन ज्यादा होता है, जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है। फिर भी लापरवाहियों को टाला नहीं जा सका।
दरअसल, उत्तराखंड के केदारनाथ में गरूड़चट्टी में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना में मरने वालों में पायलट भी शामिल है।हादसे का शिकार हुए श्रद्धालु रूद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर के दर्शन कर गुप्तकाशी वापस आ रहे थे कि तभी रास्ते में उनके हेलीकॉप्टर में आग लग गई।
फिर भी क्यों गया हेलीकॉप्टर?
हादसे के बाद सामने आई प्राथमिक जांच में लापरवाही की बात सामने आई है। जानकारी मिल रही है कि मौसम खराब होने के चलते हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ। इतना ही नहीं, उत्तराखंड मौसम विभाग ने 18 अक्टूबर के लिए पहाड़ी इलाकों में मौसम खराब होने की भी संभावना जताई थी। मौसम विभाग की तरफ से कहा गया था कि 3500 मीटर और इससे ज्यादा की ऊंचाई वाले स्थानों में जैसे उत्तरकाशी,रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में हल्की बारिश और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी की संभावना है।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि मौसम विभाग ने रुद्रप्रयाग जिले के लिए भी मौसम का अलर्ट जारी किया था। मौसम विभाग के इतने अलर्ट के बाद भी हेलीकॉप्टर का आना जाना जारी रहा। उन्हें आने जाने की अनुमति क्यों दी गई। यह इस पूरे हादसे पर सवाल उठा रहा है।
अक्सर हुई हैं बादल फटने की घटनाएं
आपको बता दें कि गरुड़चट्टी 2013 से पहले केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा का मुख्य पड़ाव हुआ करता था। तब केदारनाथ से इसकी दूरी 2 किलोमीटर से ज्यादा नहीं थी। केदारनाथ घाटी के जंगल चट्टी, रामबाड़ा और गरुड़चट्टी, यह तीन ऐसे इलाके हैं, जहां पर अक्सर बादल आने के कारण हेलिकॉप्टर को उड़ने में खासी दिक्कतें आती हैं, क्योंकि जीरो विजिबिलिटी होने से दुर्घटना होने का खतरा बढ़ जाता है।
केदारनाथ में कब कब हुए हादसे
2013 की आपदा के दौरान केदारनाथ धाम में वायुसेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन करते हुए शहीद हो गया था, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। यहां प्राइवेट कंपनी के भी 3 हेलिकॉप्टर भी क्रैश हो चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बताया जाता है कि यहां जितने भी प्राइवेट कंपनियों के हेलिकॉप्टर केदारनाथ में उड़ते हैं, वे सिंगल इंजन होते हैं और सिंगल इंजन होने की वजह से यह सब मंदाकिनी नदी की घाटी में ही उड़ते हैं। इसी वजह से यहां हादसों ज्यादा आशंका बनी रहती है।
Edited: By Navin Rangiyal