कश्मीर में सब कंट्रोल में, लेकिन नहीं हटेगी सेना, जानिए क्यों?

सुरेश एस डुग्गर
गुरुवार, 1 जून 2023 (17:39 IST)
Jammu and Kashmir Loc news in hindi : कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में 35 सालों से लिप्त भारतीय सेना ने अगस्त 2019 के बाद के कश्मीर के हालात को बेहतर से बेहतर बताते हुए कहा है कि सब कंट्रोल में है पर कश्मीर के भीतरी भागों से सेना नहीं हटाई जा सकती। ऐसा कहने के पीछे उनका मत था कि अभी और अच्छे होने की उम्मीद बाकी है।
 
सेना की 15वीं कोर के जीओसी ले जनरज एडीएस औजला पत्रकारों के साथ बात कर रहे थे। उनका पूरा जोर कश्मीर के हालात की सुंदर तस्वीर पेश करने पर था। वे दावा करते थे कि कश्मीर में सब चंगा है। वे स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में होने का दावा करते थे और कहते थे कि इसमें सेना की अहम भूमिका रही है जो 34 सालों के बाद आतंकियों की संख्या को 50 से भी कम पर लाने में कामयाब हुई है।
 
पर वे इस सवाल पर कि अगर आतंकी 50 से भी कम हो चुके हैं तो लाखों सैनिकों की कश्मीर के भीतरी भागों में क्या आवश्कता है, कहते थे कि उनको हटाने का अभी समय नहीं आया है। वे कहते थे कि अभी भी कश्मीर में और अच्छा होने की उम्मीद है।
 
कश्मीर के भीतरी इलाकों से सैनिकों की बैरकों में वापसी पर वे कहते थे कि कुछ भी निश्चित तौर नहीं कहा जा सकता। हालांकि वे कहते थे कि इसका फैसला राजनीतिक नेतृत्व को करना है पर सैनिक के रूप में उन्हें लगता था कि अभी बहुत कुछ अच्छा होने की उम्मीद छोड़ी नहीं जा सकती।
 
औजला कहते थे कि दक्षिण कश्मीर में अक्सर आतंकी चुनौती बनते रहते हैं पर अब वे उन्हें खदेड़ने में कामयाब रहे हैं जबकि पाकिस्तान के आंतरिक हालात का कश्मीर पर कोई प्रभाव होगा या नहीं के सवाल पर वे कहते थे कि ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। 
 
हालांकि उनका कहना था कि तालिबान 2.0 से कुछ शंकाएं पैदा हुई थीं पर वे निराधार साबित हुई हैं। और इसका श्रेय वे अपने उन सतर्क जवानों को देते थे जो एलओसी पर जान की बाजी लगा रहे हैं।
पाकिस्तानी घुसपैठिया ढेर : पाकिस्तान से सटी जम्मू-कश्मीर की 814 किमी लंबी एलओसी और 264 किमी लंबे इंटरनेशनल बॉर्डर पर घुसपैठ के प्रयासों में बिजली सी तेजी आ गई है। बढ़ते घुसपैठ के प्रयासों ने रक्षाधिकारियों को चिंता में डाल दिया है। आज भी जम्मू सीमा पर एक घुसपैठिए को ढेर कर दिया गया।
 
पिछले 5 महीनों में ऐसे 8 घुसपैठियों को जन्नत का रास्ता दिखाया गया है। इस साल प्रथम जनवरी से लेकर आज तक मारे गए घुसपैठियों में से सिर्फ दो ही इंटरनेशनल बार्डर पर मारे गए तो एलओसी पर मरने वाले 6 घुसपैठियों में एक महिला भी थी। फिलहाल आज तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है।
 
मई महीने में सबसे अधिक घुसपैठ के प्रयास हुए हैं। पांच ऐसे प्रयासों को नाकाम बनाते हुए चार को तो मार गिराया गया जबकि चार को पकड़ लिया गया। इनमें आतंकी भी थे और नशीले पदार्थों के तस्कर भी। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि 16 मई को बारामुल्ला के कमालकोट में मारी जाने वाली महिला घुसपैठिया आतंकी थी या फिर तस्कर।
 
हालांकि शंका यह भी है कि उस पार से भटक कर इस ओर आने वाली भी हो सकती है क्योंकि अक्सर पाक कब्जे वाले कश्मीर के लोग सुनहरे सपनों को लेकर इस कश्मीर या फिर मायानगरी मुंबई तक जाने के लिए भारत में प्रवेश करने के लिए एलओसी को सबसे आसान रास्ता मानते हैं। अतीत में ऐसी अनेकों घटनाएं हो चुकी हैं। दरअसल 24 अप्रैल को भी ऐसा ही हुआ था जब एक बाप बेटे को एलओसी पार करने के जुर्म में पकड़ा गया था तो वे सुनहरे सपने लेकर इस ओर आ गए थे। बाद में उन्हें पाक सैनिकों के हवाले कर दिया गया था।
 
जमीन से घुसपैठ करने वालों से सुरक्षाबल तो एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर जूझ ही रहे हैं अब उन्हें आसमान से होने वाली घुसपैठ के साथ भी जूझना पड़ रहा है। 
 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इन 5 महीनों में इंटरनेशल बॉर्डर और एलओसी पर 50 से 60 कोशिशें उन ड्रोनों की घुसपैठ की भी हुई हैं जिन्हें पाक सेना ने इस ओर हथियार और मादक पदार्थ लेकर भेजा था। कुछेक ही अपने मिशन में कामयाब हो पाए थे और बाकी को सतर्क भारतीय सेना के जवानों ने मार भगाया था। Edited By : Sudhir Sharma

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