मेरे लिए सबसे बड़ा दिन, निर्भया की मां ने विक्ट्री साइन बनाकर कहा

Webdunia
मंगलवार, 14 जनवरी 2020 (16:02 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली दुष्कर्म पी‍ड़िता निर्भया की मां आशादेवी ने विक्ट्री का साइन बनाते हुए कहा कि मेरे लिए आज बड़ा दिन है, लेकिन सबसे बड़ा दिन 22 जनवरी होगा जब दुष्कर्मियों को फांसी पर लटकाया जाएगा। 
 
दरअसल, आशादेवी की यह टिप्पणी निर्भया के दोषी विनय शर्मा और मुकेश कुमार की क्यूरेटिव पिटीशन (सुधारात्मक याचिका) खारिज होने के बाद आई। उन्होंने कहा कि मेरे लिए आज बड़ा दिन है। मैंने अपनी बेटी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए 7 साल तक संघर्ष किया है। अब उन्हें 22 जनवरी को फांसी पर लटका दिया जाएगा। 
 
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की एनवी रमण की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने दोषी विनय शर्मा और मुकेश कुमार की सुधारात्मक याचिकाओं पर चैंबर में विचार के बाद उन्हें खारिज कर दिया। सुधारात्मक याचिका किसी व्यक्ति को उपलब्ध अंतिम कानूनी विकल्प है।
 
पांचों न्यायाधीशों की यह सर्वसम्मत राय थी कि इन दोषियों की सुधारात्मक याचिकाओं में कोई दम नहीं है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मौत की सजा के अमल पर रोक के लिए आवेदन भी अस्वीकार किया जाता है। पीठ ने कहा कि हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया है। हमारी राय में रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में 2002 के फैसले में इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित मानकों के दायरे में इसमें कोई मामला नहीं बनता है। अत: याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को इस मामले के चारों मुजरिमों को 22 जनवरी को सवेरे सात बजे तिहाड़ जेल में मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए आवश्यक वारंट जारी किया था। इसके बाद, 9 जनवरी को विनय और मुकेश ने सुधारात्मक याचिका दायर की थी। दो अन्य दोषियों अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता ने अभी तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है।
 
दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में 6 दरिंदों ने 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह से जख्मी हालत में पीड़िता को सड़क पर फेंक दिया था। इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। 
 
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इस सनसनीखेज अपराध में शामिल एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और उसके खिलाफ किशोर न्याय कानून के तहत कार्यवाही की गई थी। नाबालिग को 3 साल तक सुधार गृह में रखा गया था। (फोटो सौजन्य : ट्‍विटर)

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