सत्ता हाथ से क्या गई, सुगंध और दुर्गंध में फर्क भूल गए
जिस गौमाता के चरणों में देवी-देवताओं का वास हो, उसी पर तंज कसना अधर्म नहीं तो और क्या
जो गोधन को बोझ समझे, वह गोपाल भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के चरणों की भक्ति का अलौकिक आनंद क्या जाने
जिनके लिए सत्ता का सिंहासन ही सर्वस्व…
अखिलेश जी,
दुर्गंध आपकी नमाजवादी विचारधारा और सोच में भरी हुई है, गौशाला में नहीं। pic.twitter.com/oI9aAyh0Z8