205 भारतीयों के साथ बर्बर व्यवहार, ट्रंप की कठोर नीतियों के शिकार भारतीयों का अपमानजनक निर्वासन

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 5 फ़रवरी 2025 (14:33 IST)
205 Indians sent back home by America: अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के तहत, 205 भारतीय नागरिकों को देश से निर्वासित किया गया। इन प्रवासियों के साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया गया, जिसमें उनके मुंह पर नकाब और हाथों में हथकड़ी लगाई गई थी। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्रवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार के मुद्दे को उजागर किया है। इस बीच, अमेरिकी सैन्य विमान से 104 प्रवासी भारतीय अमृतसर पहुंच गए। ये सभी अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे। 
 
घटना का विवरण : अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने इन 205 भारतीयों को अवैध रूप से देश में रहने के आरोप में हिरासत में लिया था। निर्वासन के दौरान, उनके साथ आतंकवादियों की तरह व्यवहार किया गया, जिसमें उनके मुंह पर नकाब पहनाया गया और हाथों में हथकड़ी लगाई गई। यह घटना अमेरिका की सख्त आव्रजन नीतियों और अवैध प्रवासियों के प्रति कठोर रुख का परिणाम है। 
 
2024 में निर्वासन के आंकड़े : वित्तीय वर्ष 2024 में, अमेरिका ने 1500 से अधिक भारतीयों को निर्वासित किया है। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है, जो अमेरिका की बदलती आव्रजन नीतियों को दर्शाता है। इसके अलावा, ICE ने लगभग 18,000 भारतीयों को निर्वासन सूची में शामिल किया है, जो अवैध रूप से देश में रह रहे हैं। ALSO READ: अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित करने का मामला, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
 
अंतरराष्ट्रीय  प्रतिक्रिया : संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन ने अपने निर्वासन अभियानों को प्रचारित करने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया का उपयोग किया है, जिसे कई लोग 'प्रचार' और 'मनोरंजन' के रूप में देखते हैं। आलोचकों का कहना है कि ये छापे सुरक्षा से अधिक दिखावे के लिए हैं और प्रशासन की क्रूरता को उजागर करते हैं। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने भी अमेरिका की इस नीति पर चिंता जताई है और इसे 'अनावश्यक रूप से कठोर' बताया है। 
 
सूत्रों के अनुसार निर्वासन की प्रक्रिया के दौरान, कुछ प्रवासियों को कथित तौर पर पीटा गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। कुछ प्रवासियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया गया। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक निर्वासन की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के बारे में भी चिंताएं जताई गई हैं। ALSO READ: ट्रंप ने दी सफाई, जन्मजात नागरिकता गुलामों के बच्चों के लिए, अमेरिका में भीड़ लगाने के लिए नहीं
 
मानवाधिकार उल्लंघन : भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता उन 205 नागरिकों के साथ हुआ अमानवीय व्यवहार है। अमेरिका एक लोकतांत्रिक देश होते हुए भी निर्वासित प्रवासियों को सम्मानजनक तरीके से भेजने में असफल रहा।
 
प्रवासियों की सुरक्षा: लाखों भारतीय अमेरिका में काम और पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह की घटनाएं उनके लिए भी असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं। 
 
राजनयिक रिश्तों पर असर : भारत-अमेरिका संबंध हाल के वर्षों में काफी मजबूत हुए हैं, लेकिन इस तरह के घटनाक्रमों से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। 
 
इन घटनाओं का भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। 205 भारतीयों के साथ हुआ व्यवहार निंदनीय है और मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह घटना अमेरिका की आव्रजन नीतियों और अवैध प्रवासियों के प्रति उसके दृष्टिकोण के बारे में गंभीर सवाल उठाती है। भारत सरकार को इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसे घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
 
क्या कहा कांग्रेस ने : कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा कि कांग्रेस ने अमेरिका से 205 अवैध प्रवासियों वापस भेजे जाने की खबरों को लेकर बुधवार को कहा कि भारतीय नागरिकों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें दुखद हैं। खेड़ा ने कहा कि अमेरिका से भारतीयों को हथकड़ी लगाकर और अपमानित करके निर्वासित किए जाने की तस्वीरें देखकर, एक भारतीय होने के नाते मुझे दुख होता है। मुझे दिसंबर 2013 की वह घटना याद है जब भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को अमेरिका में हथकड़ी लगाई गई थी और ‘स्ट्रिप सर्च’ किया गया था।
 
उनके मुताबिक, उस समय तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह ने अमेरिका की राजदूत नैन्सी पॉवेल के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने भारत दौरे पर आए अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल (जॉर्ज होल्डिंग, पीट ओल्सन, डेविड श्वाइकर्ट, रॉब वुडऑल और मैडेलिन बोर्डालो) से मिलने से इनकार कर दिया था।
 

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