Supreme Court पहुंची केन्‍द्र सरकार, कहा- 2G केस की तत्‍काल सुनवाई करें, CJI चंद्रचूड़ बोले- हम देखेंगे

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 22 अप्रैल 2024 (23:22 IST)
Centre moves SC seeking modification of 2012 verdict in 2G spectrum case :  केंद्र सरकार ने 12 साल से अधिक समय बाद 2G स्पेक्ट्रम मामले से जुड़े फैसले में संशोधन का अनुरोध करते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों को स्थानांतरित करते समय सरकार नीलामी का मार्ग अपनाने के लिए बाध्य है।
 
इसने 2 फरवरी 2012 के अपने फैसले में जनवरी 2008 में दूरसंचार मंत्री के रूप में ए. राजा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कंपनियों को दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए थे।
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केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ के समक्ष एक अंतरिम आवेदन का उल्लेख किया।
 
आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए शीर्ष कानून अधिकारी ने पीठ से कहा कि याचिका 2012 के फैसले में संशोधन का अनुरोध करती है क्योंकि केंद्र कुछ मामलों में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है। प्रधान न्यायाधीश ने वेंकटरमणी से कहा कि हम देखेंगे, आप कृपया एक ई-मेल भेजें।
 
गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने नीलामी संबंधी अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया था।
 
संबंधित गैर सरकारी संगठन उन याचिकाकर्ताओं में शामिल था जिनकी याचिकाओं पर न्यायालय ने फरवरी 2012 में अपना निर्णय दिया था।
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इस साल 22 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में राजा और 16 अन्य को बरी करने के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की अपील को स्वीकार कर लिया था, जिससे एजेंसी द्वारा याचिका दायर करने के छह साल बाद मामले की सुनवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया।
 
सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले में "कुछ विरोधाभास" थे जिनकी "गहन पड़ताल" की आवश्यकता है।
 
विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामलों में राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को बरी कर दिया था।
 
सीबीआई ने 20 मार्च, 2018 को विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
 
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया के चलते राजकोष को 30,984 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। इनपुट भाषा

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