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चमोली के थराली में बादल फटे, मलबे में दबे लोग, कई घर तबाह

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 23 अगस्त 2025 (08:30 IST)
CloudBurst : उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित थराली तहसील में बादल फटने से भारी तबाही हुई। मलबे में कई लोगों के दबे होने की खबर है। राहत और बचाव कार्य जारी है। 
 
चमोली DM संदीप तिवारी ने कहा, चमोली की थराली तहसील में कल रात बादल फटने से भारी नुकसान की आशंका है। बादल फटने से काफी मलबा आया है, जिससे SDM आवास समेत कई घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 
 
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, जनपद चमोली के थराली क्षेत्र में देर रात बादल फटने की दुःखद सूचना प्राप्त हुई। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। इस संबंध में निरंतर स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हूं और स्वयं स्थिति की गहन निगरानी कर रहा हूं। ईश्वर से सभी के सकुशल होने की प्रार्थना करता हूं।
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जनपद चमोली के थराली क्षेत्र में देर रात बादल फटने की दुःखद सूचना प्राप्त हुई। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।

इस सम्बन्ध में निरंतर स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हूँ और स्वयं स्थिति की गहन निगरानी कर रहा हूं। ईश्वर से सभी के…

— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 23, 2025 >
बादल फटना क्या है? : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब किसी क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा होती है, तो उसे बादल फटना माना जाता है। यह अक्सर एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में सीमित समय के लिए होता है। इसकी तीव्रता और सीमित क्षेत्र में इसका प्रभाव इसे सामान्य बारिश से अलग करता है।
 
बादल फटने के कारण : बादल फटने की घटना के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं:
1. गर्मी और नमी: गर्म और नम हवा ऊपर उठती है और ठंडी होकर बादलों का निर्माण करती है। जब हवा में अत्यधिक नमी होती है, तो बड़े-बड़े Cumulonimbus बादल बनते हैं, जो भारी बारिश के लिए जिम्मेदार होते हैं।
2. स्थानीयकृत संवहन : पहाड़ों की जटिल स्थलाकृति स्थानीय स्तर पर तीव्र संवहन धाराओं को जन्म देती है। ये धाराएं बादलों के भीतर नमी को तेजी से ऊपर उठाती हैं, जिससे उनमें पानी की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
3. गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव: जब बादलों में पानी की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि वे उसे और रोक नहीं पाते, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वह अचानक और भारी मात्रा में नीचे गिर जाता है। यह एक साथ बहुत सारा पानी गिरने जैसा महसूस होता है, लेकिन यह किसी बादल के फटने जैसा नहीं होता है, बल्कि अत्यधिक तीव्रता से हुई वर्षा होती है।
edited by : Nrapendra Gupta 

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