ऑपरेशन सिंदूर की कर्नल सोफिया कुरैशी का रानी लक्ष्मीबाई से क्या है कनेक्शन

WD Feature Desk
शनिवार, 10 मई 2025 (15:30 IST)
colonel sophia qureshi : कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का भारत ने ऑपेरशन सिन्दूर के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है। भारतीय सेना में अपनी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी बीते दिनों 'ऑपरेशन सिंदूर' का चेहरा बनकर उभरी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्नल सोफिया कुरैशी का इतिहास सिर्फ सेना की वर्दी तक ही सीमित नहीं है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई से भी उनका नाता है। यह जानकर गर्व और आश्चर्य का अनुभव होता है कि आधुनिक भारत की एक सशक्त सैन्य अधिकारी का संबंध भारत देश की एक महान योद्धा से है।

कर्नल सोफिया कुरैशी की दादी ने लड़ी थी आजादी की लड़ाई
कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार का इतिहास देशभक्ति और बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। उनकी परदादी ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठाई थी। कल्पना कीजिए, उस दौर में एक महिला का रणभूमि में दुश्मनों से लोहा लेना कितना साहसिक और प्रेरणादायक रहा होगा। यह विरासत कर्नल सोफिया के खून में रची बसी है, जो उन्हें देश सेवा और नेतृत्व के लिए अटूट प्रेरणा देती रही होगी।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हैं कर्नल सोफिया की बहन
कर्नल सोफिया की बहन शाइना का संबंध फिल्म इंडस्ट्री से हैं । वे भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। कला और शौर्य का यह अद्भुत संगम कर्नल सोफिया के परिवार को और भी खास बनाता है। एक बहन देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है, तो दूसरी अपनी कला से देश का नाम रोशन कर रही है।

कर्नल सोफिया कुरैशी का परिचय
कर्नल सोफिया कुरैशी आर्मी बैकग्राउंड से आती हैं, उनके दादा भी सेना में थे। उनके पति मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री में आर्मी ऑफिसर हैं।  वर्तमान में देश की सेवा कर रही सोफिया भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत 1999 में शामिल हुईं थीं।

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी काफी मजबूत रही है। उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र से निकलकर उन्होंने देश सेवा का कठिन मार्ग चुना और 1999 में भारतीय सेना में शामिल हुईं। यह वह वर्ष था जब उन्होंने चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से अपना कठोर प्रशिक्षण पूरा किया और लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में कमीशन प्राप्त किया।

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सेना में अपनी एंट्री के बाद से ही सोफिया ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और पेशेवर रवैये का परिचय दिया। वर्ष 2006 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन के तहत कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। एक अशांत क्षेत्र में शांति स्थापित करने के चुनौतीपूर्ण कार्य में उन्होंने अपनी कुशलता और साहस का परिचय दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी पहचान बनी।

 

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