एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ संसद परिसर में कांग्रेस का प्रदर्शन

Webdunia
शुक्रवार, 23 मार्च 2018 (18:00 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में पार्टी के सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर मांग की कि केंद्र उच्चतम न्यायालय से अनुसूचित जाति/जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून पर अपने फैसले की पुनरीक्षा करने का आग्रह करे।


उच्चतम न्यायालय ने इस कानून के तहत तुरंत गिरफ्तारी के कठोर प्रावधानों को मंगलवार को अपने फैसले में शिथिल किया था। इस फैसले के तहत समुचित दायित्व निभाने वाले ईमानदार सरकारी कर्मचारियों को अजा/अजजा कानून के जरिए कथित रूप से ब्लैकमेल करने से बचाने के लिए उपाय किए गए हैं।

कांग्रेस सांसद धरने के समय नारेबाजी कर रहे थे- 'दलितों के सम्मान में, राहुल गांधी मैदान में। 'सूत्रों ने बताया कि इससे पहले सांसद कांग्रेस संसदीय दल के कार्यालय में एकत्र हुए और उन्होंने आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया।

सूत्रों ने कहा कि इस दौरान संसद के भीतर की रणनीति के बारे में राहुल के साथ विचार-विमर्श किया गया। बजट सत्र के 5 मार्च से शुरू हुए दूसरे चरण में पिछले 15 दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा मचाए गए हंगामे के बीच ही वित्त विधेयक को पारित किया गया।

राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा सदन में गतिरोध तोड़कर सामान्य कामकाज चलाने के प्रयासों का अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कौन हैं महरंग बलोच, जिनसे पाकिस्तानी फौज भी खाती है खौफ?

kunal kamra controversies : कुणाल कामरा कैसे बने चर्चित कॉमेडियन, विवादों से रहा है पुराना नाता

सुनिता विलियम्स की वापसी अटकी थी राजनीति के कारण

सांसदों का वेतन बढ़ा, 34 हवाई यात्राएं, 50 हजार यूनिट, जानिए आपके माननीयों और क्या-क्या मिलता है फ्री

क्या प्रेंग्नेंट है मुस्कान, टेस्ट से सामने आएगा सच, साहिल ने मांगा सरकारी वकील, जानिए कैसी बीत रही हैं दोनों की रातें

सभी देखें

नवीनतम

Chhattisgarh : दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 25 लाख के इनामी टॉप कमांडर सहित 3 को किया ढेर

Samsung का अब तक का सबसे सस्ता स्मार्टफोन, AI फीचर के साथ मिलेगा 2000 का डिस्काउंट

बागपत के एक ही गांव के 36 युवाओं का UP पुलिस में चयन, बगैर कोचिंग के हासिल की सफलता

ई बेचारी को कुछ नहीं आता, जो है तेरे हसबैंड का है, तू तो सही हसबैंड भी नहीं बन पाया

विधवा को मुआवजे के लिए उत्तराखंड सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 9 साल से लड़ रही थी मुकदमा

अगला लेख