इंदौर। प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में कहा कि यदि भूख से मुक्ति पा लोगे तो कुत्ते की तरह लड़ोगे नहीं। भूख रहेगी तो लड़ाई भी रहेगी।
'वेबदुनिया' के चेयरमैन और संस्थापक सीईओ विनय छजलानी और पटनायक के बीच शुक्रवार को रोचक और श्रोताओं को बांधे रखने वाला संवाद हुआ। इस दौरान कई बार तालियों की गड़गड़ाहट भी सुनाई दी। विनय छजलानी के सवाल- कैलाश पर्वत के रहस्य को किस तरह देखते हैं? पर पटनायक ने बहुत ही रोचक तरीके से जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि शिव परिवार में चूहा, सांप और मोर हैं, तो बैल और सिंह भी हैं। ये सभी 'फूड चैन' की तरह हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वे किसी को खाते नहीं हैं। दरअसल, शिव ने भूख को जीत लिया था। यदि हम भूख को जीत लेंगे तो कुत्तों की तरह लड़ेंगे भी नहीं।
हिन्दू दर्शन में शिव को संहारक भी माना जाता है। इस पर पटनायक ने कहा कि संहारक का मतलब एटम बम जैसी चीज से नहीं है, बल्कि शिव ने भूख व तृष्णा का नाश किया। शिव को कामांतक भी कहा जाता है अर्थात वे भूख का अंत करते हैं।
राम और कृष्ण में समानता : राम और कृष्ण में समानता और विभिन्नता से जुड़े सवाल पर पटनायक कहते हैं कि सनातन को समझने के लिए राम और कृष्ण को समझना जरूरी है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, तो कृष्ण लीला पुरुषोत्तम हैं। एक गंभीर हैं, तो दूसरे हंसमुख हैं। एक दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हैं, तो दूसरे पश्चिम से पूर्व की ओर जाते हैं। जहां तक समानता की बात है, तो दोनों ही को विष्णु का अवतार माना जाता है। साथ ही हर चीज देश, काल और गुण के अनुसार बदलती रहती है। समय के अनुसार रूप भी बदलते रहते हैं।
उन्होंने कहा कि रामायण और महाभारत की बात करें तो ऐसा लगता है कि दोनों ही एक लेखक की दो कहानियां जैसी लगती हैं। दोनों में ही वनवास भी है, युद्ध भी है और राजसूय, अश्वमेध यज्ञ भी हैं। दोनों का ही ढांचा और आत्मा एक जैसी ही है।
मिथ और मिथ्या से जुड़े एक प्रश्न पर पटनायक ने कहा कि जो शाश्वत है, वही सत्य है। मिथ खंडित सच है। मिथ विश्वास की बात है और इसे गणित के जरिए साबित नहीं किया जा सकता। यदि किसी को भगवान पसंद है, किसी को पत्थर में भगवान नजर आता है तो दूसरे को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। सभी लोग हमारी तरह सोचें, यह आवश्यक नहीं है।
...तो नहीं होगी लड़ाई : धर्म के आधार पर एक-दूसरे से लड़ने के सवाल पर पटनायक ने राम-भरत और कौरव-पांडवों का उदाहरण देते हुए अपनी बात को बहुत ही रोचक तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि लोगों में शेयर करने की भावना होगी, तो झगड़े नहीं होंगे। राम और भरत एक-दूसरे के लिए त्याग करने के लिए तैयार थे इसलिए वहां झगड़ा नहीं हुआ, लेकिन कौरव-पांडवों में बंटवारे के चलते ही युद्ध की नौबत आई।
एक अन्य सवाल के जवाब में पटनायक ने कहा कि शिव बैरागी गृहस्थ थे, जबकि बुद्ध गृहस्थ संन्यासी थे। दरअसल, दांपत्य से ही मंगल है। शक्ति के बिना शिव भी शव हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में स्त्री को पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया है, जबकि सनातन में राम के साथ सीता, कृष्ण के साथ राधा और शिव के साथ शक्ति को दर्शाया गया है। मगर दुर्भाग्य से आज सिर्फ राम, कृष्ण और शिव की ही ज्यादा बात की जाती है।