उत्तर भारत में आंधी, तूफान का कहर, 100 से अधिक की मौत

Webdunia
गुरुवार, 3 मई 2018 (15:41 IST)
नई दिल्ली/जयपुर/लखनऊ। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बुधवार रात को आई तेज आंधी और तूफान के कहर में बड़ी संख्या में जान माल का नुकसान हुआ है। दोनों राज्यों में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा मध्यप्रदेश और बिहार में भी दो-दो लोगों के मरने की खबर है।
 
उत्तर प्रदेश के आगरा में आंधी और तूफान से सबसे ज्यादा क्षति हुई है। आगरा में 36 लोगों की मौत हुई है। कई मकान गिर गए। बड़ी संख्या में पशु मारे गए और जगह-जगह पेड़ गिरने के साथ ही बिजली के खंबे उखड़ गए। राज्य में करीब 64 लोगों की मौत हो गई और करीब 40 लोग घायल हुए हैं।
 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तूफान की वजह से जान-माल के भारी नुकसान पर गहरा दुख जताया है। 
 
कोविंद ने राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में तूफान और भारी बारिश से बड़ी संख्या में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए अधिकारियों से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कदम उठाने को कहा है। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।
 
मोदी ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में आये तूफान से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने घायल लोगों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना की है। मोदी ने अधिकारियों से तूफान से प्रभावित राज्यों के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाने और प्रभावित लोगों को मदद कार्य में सहायता करने के निर्देश दिए हैं।
राजस्थान से प्राप्त समाचार के अनुसार बुधवार रात आए आंधी और तूफान में मरने वालों की संख्या 36 हो गई है एक सौ से अधिक लोग घायल हो गए।
 
राज्य सरकार ने हादसे में मरने वाले मृतकों के परिजनों को चार चार लाख रुपए की सहायता देने के साथ ही आपदा प्रभावित तीन जिलों के लिए आपदा राहत कोष से ढाई करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है तथा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव एवं राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। 
 
ऐसे आता है बवंडर : ज्यादातर रेगिस्तान भूमध्य रेखा के इर्दगिर्द है। इस क्षेत्र में वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक होता है। यह दबाव ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक लाता है। इस दौरान सूरज की सीधी किरणें इस हवा की नमी समाप्त कर देती हैं। इससे यह हवा बहुत गर्म हो जाती है। इस कारण बारिश नहीं हो पाती है और जमीन शुष्क और गर्म हो जाती है।

जमीन गर्म होने के कारण नमी के अभाव में धूल के कणों की आपस में पकड़ नहीं रह पाती है। ऐसे में ये हवा के साथ बहुत आसानी से ऊपर उठना शुरू कर देते हैं। हवा की गति 40 किलोमीटर से अधिक होने पर ये धूल कण एक बवंडर का रूप धारण कर लेते हैं।

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