नई दिल्ली। देश की आर्थिक वृद्धि दर नरम रह सकती है और इसके अप्रैल-जून तिमाही में 6.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पिछली तिमाही में यह 6.1 प्रतिशत थी। एचएसबीसी की रिपोर्ट में यह कहा गया है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार, तिमाही के दौरान कमजोर निवेश तथा निर्यात वृद्धि से उच्च निजी निवेश तथा सरकारी व्यय का प्रभाव फीका रह सकता है। बजट जल्दी पेश करने और हाल ही में लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों, उससे होने वाली प्राप्तियों तथा छूट आदि के प्रभाव के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आने वाले आंकड़े गड़बड़ा सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी (आठ नवंबर, 2016) तथा उसके बाद जीएसटी क्रियान्वयन जैसी नीतियों में बदलाव के बीच अगली कुछ तिमाहियों में सकल मूल्यवर्द्धन (जीवीए) आर्थिक गतिविधियों के मापने का भरोसेमंद उपाय हो सकता है।
एचएसबीसी ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, हमारा मानना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीवीए वृद्धि बेहतर होगी लेकिन इसके बावजूद 6.2 प्रतिशत पर ही रहेगी। वहीं जीडीपी 6.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बजट पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब एक महीने पहले एक फरवरी को पेश किया गया। इससे कुछ व्यय खासकर सब्सिडी के मामले में जल्दी मंजूरी दी जा सकी। साथ ही उसके बाद जीएसटी कर प्रणाली लागू की की गई, जिससे कर संग्रह में कुछ अनिश्चितता बनी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही जीवीए वृद्धि सालाना आधार पर सुधरकर 6.2 प्रतिशत रहेगी, जो इससे पूर्व नोटबंदी से प्रभावित तिमाही में 5.6 प्रतिशत थी। (भाषा)