New H-1B visa applications News : अमेरिका में विदेशी पेशेवरों के लिए नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर एक लाख डॉलर का शुल्क लगाए जाने से घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियों के कारोबारी ढांचे पर गहरा असर पड़ सकता है। इस व्यवस्था से कंपनियां नए आवेदनों से परहेज करने के साथ विदेशी आपूर्ति या स्थानीय भर्तियों पर जोर दे सकती हैं। वित्तीय परामर्शदाता मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2027 से इस फैसले के लागू होने पर अगर कोई कंपनी 5,000 एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करेगी तो उस पर सिर्फ फीस का ही बोझ 50 करोड़ डॉलर हो जाएगा।
सलाहकार फर्म ने कहा, इस शुल्क बोझ को देखते हुए संभव है कि भारतीय आईटी कंपनियां नए एच-1बी आवेदनों से दूरी बनाएंगी। ऐसे में संभावना है कि भारतीय आईटी कंपनियां एच-1बी वीजा के लिए नए आवेदन करने से परहेज करेंगी और इसकी जगह पर वे ऑफशोर आपूर्ति बढ़ाने या स्थानीय भर्तियां करने पर जोर देंगी।
ऑफशोर आपूर्ति का मतलब भारत या कम लागत वाले किसी अन्य देश में मौजूद पेशेवरों के जरिए अमेरिकी कंपनियों को सेवाओं की आपूर्ति करने से है। हालांकि एच-1बी वीजा के नए आवेदन कम हो जाते हैं या कंपनियां उनसे दूरी बना लेती हैं तो ऑनसाइट (अमेरिका में) काम से होने वाली आय में गिरावट आ सकती है। लेकिन इसका एक असर यह भी होगा कि कंपनियों की ऑनसाइट कर्मचारियों पर आने वाली लागत भी कम हो जाएगी।
इस स्थिति में भले ही भारतीय आईटी कंपनियों का अमेरिकी कारोबार से राजस्व घटेगा लेकिन ऑनसाइट लागत भी कम हो जाने से उनका परिचालन मार्जिन बेहतर हो सकता है। इस बीच, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के निकाय नैसकॉम ने कहा कि फीस केवल नए आवेदनों पर लागू होने और मौजूदा वीजा धारकों पर कोई असर न पड़ने को लेकर जारी स्पष्टीकरण ने तात्कालिक अनिश्चितता कम की है।
इससे कारोबार निरंतरता पर तत्काल संकट नहीं दिख रहा। साथ ही, कंपनियों को 2026 तक का समय भी मिल रहा है ताकि वे स्थानीय भर्ती एवं कौशल कार्यक्रमों को रफ्तार दे सकें। विश्लेषकों का कहना है कि पिछले एक दशक में भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में स्थानीय नियुक्तियां बढ़ाई हैं और अब मात्र तीन से पांच प्रतिशत सक्रिय कर्मचारी ही एच-1बी वीजा पर हैं। गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियों की ताजा वीजा आवेदनों में अधिक हिस्सेदारी है।
फिलहाल टीसीएस, इन्फोसिस, एचसीएल अमेरिका और एलटीआईमाइंडट्री जैसी कंपनियां शीर्ष लाभार्थियों में शामिल हैं। इसके साथ यह आंकड़ा भी ध्यान में रखने लायक है कि अमेरिकी सरकार की तरफ से पेशेवरों को जारी होने वाले कुल एच-1बी वीजा में भारतीय पेशेवरों की हिस्सेदारी अकेले ही 70 प्रतिशत से अधिक है।
हालांकि जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स में साझेदार संजय सिंह का कहना है कि तात्कालिक झटका भले ही थोड़ा टल गया है लेकिन प्रभाव पूरी तरह से टला नहीं है। आखिरकार कंपनियों को अपनी रणनीतियों की पुनर्समीक्षा करनी होगी। (इनपुट एजेंसी)
Edited By : Chetan Gour