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केंद्र और राज्‍य सरकार की लापरवाही से आया पंजाब में बाढ़ संकट, खेती के लिए जमीनों को तैयार होने में लगेंगे 2 साल

डैम प्रबंधन में लापरवाही को लेकर NGT में याचिका दाखिल

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 13 सितम्बर 2025 (14:13 IST)
(कार्तिका सिंह, पंजाब-चंडीगढ़ से)
भयाहव बाढ़ के संकट से जूझ रही पंजाब की आम जनता और किसान हकीकत में केंद्र और राज्‍य सरकार की लापरवाही का शिकार हो गई है। दरअसल, BBMB और केंद्र सरकार ने भाखड़ा व पोंग का प्रबंधन ठीक तरह से नहीं कर पाई, जबकि पंजाब सरकार रणजीत सागर में चूक गई और तटबंध व नालों पर भी नाकाम रही। ऐसे में इन गलतियों का खामियाजा सबसे ज्‍यादा गरीब जनता, किसान और पंजाब की लाखों आम अवाम को झेलना पड़ा।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से पंजाब की कृषि और कृषि के लिए उपयोग में लाई जाने वाली जमीन पर गहरा असर हुआ है। उनका कहना है कि पंजाब की उपजाऊ जमीन को अब कृषि के लायक तैयार होने में कम से कम दो साल लग जाएंगे। बता दें कि डैम प्रबंधन में लापरवाही को लेकर NGT में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें शासन– प्रशासन की लापरवाही को अंडरलाइन किया गया है।

लापरवाही का शिकार पंजाब की जनता : पंजाब की जनता दोनों ओर की लापरवाही का शिकार हो रही है। BBMB और केंद्र सरकार ने भाखड़ा व पोंग को ग़लत तरीके से संभाला, वहीं पंजाब सरकार रणजीत सागर में चूक गई और तटबंध व नालों पर भी नाकाम रही। हमारे डैम जोखिम कम करने की जगह बाढ़ को और बढ़ा रहे हैं। यह सिर्फ़ प्रकृति का कहर नहीं, बल्कि मानवीय लापरवाही है। अब केवल पारदर्शिता और जवाबदेही ही आगे का रास्ता है।

खेती लायक जमीन बनने में लगेंगे 2 साल : पीएसी मत्तेवाड़ा से जुड़े इंजीनियर और एनवॉयरनमेंटलिस्ट, जसकीरत सिंह ने टेलीफोनिक संवाद के दौरान बताया कि लगभग 5 लाख हेक्टेयर ज़मीन बर्बाद हुई है, जिस में ज़्यादातर झोने यानि की चावल की फसल थी। अभी ज़मीन को फ़िर से खेती लायक बनने में 1-2 साल का वक़्त लग जायेगा। उन्होंने ये भी बताया कि इस त्रासदी का सबसे ज़्यादा असर गरीब आदमी पर ही पड़ा है। जिनके घर और ज़मीनें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं, उन्हें दुबारा खड़े होने में बहुत वक़्त लगेगा।

कृषि की संभावनाएं घटी : पानी उतरने के बाद हालात और ज़्यादा कठिन होने वाले हैं। बारिश और बढ़ के पानी ने दरिया की रेत और ज़मीन की मिटटी को मिला दिया है। इसमें ऐसी हालत में कृषि की संभावनाएं तो बहुत कम रह गई हैं। लोगों का पुनर्वास आसान नहीं रहा। लोग अपने एनआईआर जान कारों की तरफ भी बहुत आशाओं से देख रहे हैं। इनका कहना है अब विदेशी भाईचारे से मिलने वाली इस बाहरी मदद से ही शायद हमरे नुकसान की कुछ भरपाई हो सके।

1600 करोड़ के रिलीफ फण्ड जारी: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण (एरियल सर्वे) भी किया। उन्होंने 1600 करोड़ के रिलीफ फण्ड का ऐलान भी किया। इसके बाद भी लोग इस पैकेज को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। इससे ज़्यादा की मांग भी तेज़ी उठने लगी हैं। यूनियनें और सियासी संगठन भी इस मुद्दे पर ज़्यादा ज़ोर देंगें।

कहां हुई गलतियां : सामने आया तथ्‍य : 2023: 1 से 10 अगस्त के बीच एक छोटा अवसर था, जब सुरक्षित मात्रा में पानी छोड़ा जा सकता था।

2025: बड़ा अवसर मौजूद था: भाखड़ा 19 अगस्त तक, पोंग 24 अगस्त तक और रणजीत सागर 17 अगस्त तक सुरक्षित प्री-रिलीज़ कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

2. भाखड़ा डैम (BBMB/केंद्र सरकार): 1–18 अगस्त 2025 के दौरान औसतन सिर्फ़ 22–23,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि इनफ़्लो लगभग दोगुना था। 15 अगस्त तक जलस्तर 1666 फीट (80% क्षमता) तक पहुंच गया। 19 अगस्त के बाद ही बड़े डिस्चार्ज शुरू किए गए, जब पंजाब पहले ही भारी बारिश से जूझ रहा था।

3. पोंग डैम (BBMB/केंद्र सरकार): 8 अगस्त तक ही 83% भर चुका था, लेकिन पानी छोड़ा नहीं गया। 26 अगस्त तक जलस्तर 1393 फीट पार कर गया और 29 अगस्त से एकदम 1 लाख क्यूसेक से ज़्यादा पानी छोड़ा गया। यह समय भी पंजाब में भारी बारिश से मेल खा गया, जिससे बाढ़ और विकराल हो गई।

4. रणजीत सागर डैम (पंजाब सरकार): 24 अगस्त को 9,000 क्यूसेक से डिस्चार्ज 27 अगस्त को अचानक 1, 73,000 क्यूसेक तक पहुंचा, जब जलस्तर 524 मीटर पार कर गया। पंजाब के सिंचाई मंत्री ने स्वयं “गलत गणनाओं” की बात स्वीकार की।

5. राज्य स्तर पर नाकामी: तटबंधों और नालों की सफ़ाई नहीं हुई। बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण और रेत माफ़िया पर रोक नहीं लगाई गई। नतीजतन, डैम प्रबंधन की ग़लतियों का असर कई गुना बढ़ गया।

डैम प्रबंधन में लापरवाही को लेकर NGT में याचिका : बता दें कि पंजाब में अगस्त 2023 और अगस्त 2025 की बाढ़ को लेकर बीते दिनों नागरिक समूह PAC मत्तेवाड़ा ने माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में एक याचिका दाख़िल की है। याचिका में साफ़ तौर पर कहा गया है कि इस बाढ़ की भयावहता का बड़ा कारण डैम प्रबंधन की गंभीर लापरवाहियां और बाढ़ सुरक्षा ढांचे की नाकामी रही। डैम्स का उद्देश्य बाढ़ को नियंत्रित करना होता है, लेकिन भाखड़ा, पोंग और रणजीत सागर डैम को अगस्त की शुरुआत में ही लगभग भरने दिया गया और फिर भारी वर्षा के दौरान अचानक बड़े स्तर पर पानी छोड़ा गया। इस "पैनिक रिलीज़" ने हालात को और बिगाड़ दिया। इसके साथ ही कमजोर तटबंध, खराब निकासी प्रणाली, बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण और अवैध रेत खनन ने पंजाब को और असुरक्षित बना दिया।
Edited By: Navin Rangiyal

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