कूटनीतिक मोर्चे पर बखूबी जंग लड़ रहे हैं विदेश मंत्री एस. जयशंकर

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब कर रहे हैं जयशंकर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 9 मई 2025 (20:06 IST)
Foreign Minister S Jaishankar exposed Pakistan: विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के मद्देनजर कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की जंग को बखूबी लड़ रहे हैं। पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के तत्काल बाद उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री और यूरोपीय संघ के नेताओं से संपर्क कर उन्हें हकीकत से अवगत कराया और भारत का पक्ष रखा। वे अपनी मुहिम को लगातार जारी रखे हुए हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने में लगे हए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ने पाकिस्तानी हमलों पर पलटवार करते हुए उसे काफी नुकसान पहुंचाया है। पाकिस्तान ने भारत पर 400 ड्रोन हमले किए थे, भारतीय सुरक्षाबलों की तत्परता के चलते उसके सभी हमले नाकाम कर दिए गए। 
 
आतंकवाद बर्दाश्त नहीं : विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी से फोन पर बात की और उनसे कहा कि आतंकवाद के खिलाफ 'कतई बर्दाश्त न करने वाली नीति' होनी चाहिए। जयशंकर-लैमी की बातचीत नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनातनी कम करने की भारत के रणनीतिक साझेदारों की कोशिशों की पृष्ठभूमि में हुई। ALSO READ: क्या है स्वदेशी मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम आकाश, जिसने पाकिस्तानी ड्रोनों का काम किया तमाम
 
जयशंकर ने सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में कहा कि हमारी चर्चा आतंकवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित थी, जिसके खिलाफ कतई बर्दाश्त न करने वाली नीति होनी चाहिए। जयशंकर इससे पहले बृहस्पतिवार को अमेरिकी समकक्ष मार्को रूबियो, इटली के उप प्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी और यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेश एवं सुरक्षा नीति मामलों की उच्च प्रतिनिधि काजा कलास से फोन पर बातचीत की थी। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि रूबियो ने दोनों देशों के बीच तनाव को तत्काल कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। ALSO READ: ऑपरेशन सिंदूर के डर से पाकिस्‍तान छोड़कर भागा भारत का दुश्‍मन दाऊद इब्राहिम, क्‍यों है इंडिया को उसकी तलाश?
 
आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का मिला साथ : उन्होंने कहा कि रूबियो ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत के लिए अमेरिकी समर्थन व्यक्त किया और संवाद में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जाने का आह्वान किया। ब्रूस ने कहा कि विदेश मंत्री ने पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के लिए अपनी संवेदना दोहराई और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ काम करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
 
कलास के साथ फोन पर हुई बातचीत को लेकर जयशंकर ने कहा कि ईयू की विदेश और सुरक्षा नीति मामलों की उच्च प्रतिनिधि के साथ वर्तमान घटनाक्रमों पर चर्चा की। भारत ने नपी-तुली कार्रवाई की है। बहरहाल, स्थिति बिगाड़ने वाली किसी भी हरकत के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी। भारत-पाकिस्तान में सैन्य संघर्ष पर यूरोपीय संघ ने कहा कि वह क्षेत्र में बढ़ते तनाव और अधिक लोगों की जान जाने की आशंका सहित अन्य परिणामों पर बारीकी से और बड़ी चिंता के साथ नजर बनाए हुए है।
 
पाकिस्तान चाहता है टकराव : ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने कहा कि पिछले महीने पहलगाम में आतंकवादी हमलों के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया 'सटीक, लक्षित' थी और पूरी तरह से आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर केंद्रित थी, लेकिन पाकिस्तान ने तय किया है कि वह संकट खत्म करने के लिए टकराव टालने के बजाय मामले को बढ़ाना जारी रखेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर भारत का रुख प्रस्तुत करने के लिए बृहस्पतिवार को ब्रिटेन के कई मीडिया संस्थानों ने दोरईस्वामी का साक्षात्कार लिया। उन्होंने ‘स्काई न्यूज’ से कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान को टकराव टालने का कोई विकल्प देकर हस्तक्षेप कर सकता है।
 
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गए आतंकवादियों के लिए जनाजे की नमाज में अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी अब्दुर रऊफ के शामिल होने की एक तस्वीर भी सीधे प्रसारण के दौरान दिखाई, जिसे नई दिल्ली में विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री द्वारा भी एक मीडिया बयान के दौरान दिखाया गया था। दोरईस्वामी ने कहा कि हर कोई जानता है कि पिछले 30 वर्षों से पाकिस्तान ने इसका (आतंकवाद का) इस्तेमाल भारत के खिलाफ ‘सब-क्रिटिकल’ (गंभीर श्रेणी से थोड़ी कम तीव्रता के) युद्ध के रूप में किया है।
 
पाकिस्तान के पास एक अवसर : ‘सब-क्रिटिकल’ युद्ध से तात्पर्य ऐसे सशस्त्र संघर्षों से है जो पारंपरिक युद्ध की सीमा से थोड़ा नीचे होते हैं, जिनमें उग्रवाद, छद्म युद्ध और आतंकवाद जैसी रणनीतियां शामिल होती हैं। उन्होंने कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वास्तव में इस पर गौर करना चाहता है और इसके बारे में चिंता करना चाहता है, तो इसका सरल समाधान यह है कि पाकिस्तान को बताया जाए कि उसके पास एक अवसर है। ये वे चीजें हैं, जिन्हें दुनिया को 30 साल पहले पाकिस्तान को करने के लिए मजबूर करना चाहिए था और उन्हें इस बुनियादी ढांचे को हटाने के अपने वादों को लागू करने के लिए मजबूर करना चाहिए था। उसने ऐसा नहीं किया है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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