महाकुंभ की तर्ज पर कांवड़ यात्रा की हाईटेक निगरानी, ड्रोन से रियल टाइम मॉनिटरिंग

हिमा अग्रवाल
शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (21:41 IST)
High tech monitoring of Kanwar Yatra : आज से श्रावण मास की कांवड़ यात्रा शुरू हो गई। बड़ी संख्या में शिवभक्त पवित्र गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार पहुंच चुके हैं। करोड़ों की संख्या में भगवान शिव के आराध्य अपनी मनोकामना के लिए हर की पैड़ी से गंगाजल लेकर पैदल मार्च करते हुए शिवालयों की तरफ कूच कर रहे हैं। देशभर से शिवभक्त भोले बम-बम करते हुए कंधे पर कांवड़ लेकर सड़कों पर झूमते-गाते नजर आने लगे हैं। इस कांवड़ यात्रा में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है। उत्तराखंड की पवित्र नदियों से गंगाजल लेकर कांवड़िए उत्तर प्रदेश से होकर गुजरते हैं। ऐसे में यूपी सरकार कांवड़ यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित, सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए हाईटेक तकनीकों का भरपूर उपयोग कर रही है।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस बार कांवड़ यात्रा की सुरक्षा और निगरानी महाकुंभ की तर्ज पर की जा रही है। इसमें एंटी ड्रोन सिस्टम और टीथर्ड ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का प्रयोग हो रहा है, जिनसे यात्रा मार्ग और शिव मंदिरों की 24 घंटे रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है।

महाकुंभ जैसा मॉडर्न कंट्रोल रूम
डीजीपी मुख्यालय में एक अत्याधुनिक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जहां 24 घंटे सीसीटीवी और ड्रोन की मदद से निगरानी की जा रही है। कांवड़ यात्रा मार्ग और प्रमुख शिव मंदिरों पर 29,454 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा 395 हाईटेक ड्रोन (जिनमें एंटी ड्रोन और टीथर्ड ड्रोन शामिल हैं) से आकाश से पल-पल की तस्वीरें ली जा रही हैं। टीथर्ड ड्रोन विशेष रूप से स्थिर रहते हुए भीड़ की निगरानी में सहायक हैं और आपात स्थिति में त्वरित जानकारी प्रदान करते हैं।

जमीन से आसमान तक सतर्क निगरानी
आसमान से जहां ड्रोन नजर रख रहे हैं, वहीं जमीन पर ATS, RAF, QRT और PAC जैसी विशेष बलों की तैनाती की गई है। कुल 587 राजपत्रित अधिकारी, 2,040 निरीक्षक, 13,520 उपनिरीक्षक, 39,965 आरक्षी और 10,000 से अधिक महिला पुलिसकर्मी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। साथ ही, 50 PAC कंपनियां, केंद्रीय बल और 1,424 होमगार्ड्स भी सुरक्षा में जुटे हैं।

सोशल मीडिया पर भी चौकस नजर
अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से बचाव के लिए सोशल मीडिया पर 24 घंटे विशेष निगरानी की जा रही है। डीजीपी मुख्यालय में आठ सदस्यीय टीम सोशल मीडिया पर चल रही पोस्ट, वीडियो और मैसेजेस की मॉनिटरिंग कर रही है। किसी भी संवेदनशील सामग्री पर तत्काल एक्शन लेते हुए संबंधित जिलों को अलर्ट भेजा जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से आपत्तिजनक सामग्री हटवाने की प्रक्रिया भी तेजी से हो रही है।

यात्रियों के लिए सुविधाजनक सूचना व्यवस्था
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी जरूरी जानकारियां, जैसे ट्रैफिक डायवर्शन, पुलिस अधिकारियों के मोबाइल नंबर और मार्ग निर्देश-बारकोड के जरिए होर्डिंग, अखबार और सोशल मीडिया पर साझा की जा रही हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के अधिकारियों के बीच समन्वय के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है, जहां रियल टाइम में सूचनाएं साझा की जा रही हैं।

एंटी ड्रोन और टीथर्ड ड्रोन की खासियत
एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन की उपस्थिति का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय करते हैं। ये दो तकनीकों-सॉफ्ट किल (जैमिंग) और हार्ड किल (नष्ट करना) से काम करते हैं। डीआरडीओ द्वारा विकसित स्वदेशी डी4एस सिस्टम (Detect, Deter, Destroy) विशेष रूप से प्रभावी है। वहीं टीथर्ड ड्रोन केबल से जुड़े होते हैं, जिससे वे स्थिर रहकर लंबी अवधि तक लगातार उड़ान भर सकते हैं और सटीक निगरानी कर सकते हैं।
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कांवड़ यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा, तकनीक और समन्वय का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। महाकुंभ के सुरक्षा मॉडल को अपनाते हुए इस बार कांवड़ यात्रा हर स्तर पर हाईटेक निगरानी और प्रबंधन से संचालित हो रही है, जिससे श्रद्धालुओं को न सिर्फ सुरक्षा का अहसास हो रहा है, बल्कि प्रशासन की तैयारी भी स्पष्ट नजर आ रही है।
Edited By : Chetan Gour

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