Al-Falah University : दिल्ली बम धमाके मामले में दिल्ली पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों की जांच जारी है। इस मामले में अब तक कई लोगों का नाम आया है। इसमें अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम भी सामने आया है। दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद के धौज में स्थित ये यूनिवर्सिटी जांच के दायरे में है। दिल्ली में हुए बम धमाके का मुख्य आरोपित डॉ. उमर नबी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था।
यूनिवर्सिटी के मालिक जावेद सिद्दीकी के विरुद्ध भी गंभीर मामले मिले हैं। उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। अल फलाह कॉलेज की शुरुआत अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तौर पर हुई थी। इसे बाद में हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज अमेडमेंट एक्ट-2014 के तहत यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर एजेंसियों के रडार पर हैं। जांच एजेंसियां इस यूनिवर्सिटी के कुछ स्टॉफ से भी पूछताछ करने की तैयारी में हैं।
कौन है यूनिवर्सिटी का चेयरमैन
अल फलाह का संस्थापक जावेद सिद्दीकी मध्यप्रदेश का रहने वाला है और उसने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है। वह 1992 में अल फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी के निदेशक बना उस पर लोगों के पैसे के गबन का भी आरोप है। बाद में उसने अल फलाह ट्रस्ट की स्थापना की। इसके बाद इस व्यवसाय का विस्तार शिक्षा, सॉफ्टवेयर, वित्तीय सेवाओं और ऊर्जा क्षेत्र में हुआ। हालांकि इनमें से अधिकांश कंपनियां बंद हो गईं। जावेद सिद्दीकी पर 2000 में दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में कथित निवेश धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि उसे 2001 में गिरफ्तार किया गया था और 2004 में इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वह निवेशकों को पैसे वापस कर देगा। अधिकारियों ने कहा कि क्राइम ब्रांच जावेद सिद्दीकी के खिलाफ पिछले आरोपों की भी समीक्षा करेगी।
महू स्थित घर में चलेगा बुलडोजर
जावेद सिद्दीकी और उसके भाई हमूद सिद्दीकी के इंदौर के महू स्थित चार मंजिला मकान को तोड़ने के लिए महू छावनी परिषद ने नोटिस जारी किया है। इसमें मुकेरी मोहल्ला स्थित मकान को अनधिकृत निर्माण बताया गया है। तीन दिनों में अनधिकृत निर्माण हटाने को कहा है, अन्यथा कैंट बोर्ड खुद मकान को ध्वस्त कर इसका खर्च कब्जाधारी से वसूलेगा। कैंट बोर्ड द्वारा मकान पर नोटिस चस्पा कर दिया गया है।
आतंकियों का अड्डा कैसे बनी अल फलाह यूनिवर्सिटी
दिल्ली में 10 नवंबर को ब्लास्ट करने वाला आत्मघाती आतंकी डॉ. उमर उन नबी अल फलाह से जुड़ा पहला आतंकी नहीं था। 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके हुए थे। इसमें शामिल आतंकी मिर्जा शादाब बेग भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी का ही छात्र है। उसने 2007 में फरीदाबाद के अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन में बीटेक पूरा किया था और 2008 में अहमदाबाद में होने वाले सीरियल ब्लास्ट में शामिल रहा यानी पढ़ाई के दौरान ही हमले की तैयारी में था। सालों से यह फरार है। खबरों के मुताबिक अभी इसके अफगानिस्तान में होने की खबर है।
ईडी ने भी कसा शिकंजा
ईडी ने भी अल फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कसा है। अब यूनिवर्सिटी में करोड़ों की हेराफेरी के सबूत मिले हैं। ईडी का आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसे नियंत्रित करने वाले ट्रस्ट ने कम से कम 415.10 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अभ्यार्थियों के माता-पिता को फर्जी मान्यता के दावे करके करोड़ों रुपये हड़पे गए हैं।
ऐसे बिछाते थे जाल
अल-फलाह यूनिवर्सिटी वाले UGC और NAAC की फेक एक्रेडिटेशन दिखाते थे। वेबसाइट पर ग्रेड A का झूठा क्लेम करते थे ताकि पैरेंट्स और स्टूडेंट्स भरोसा करें और एडमिशन लें, लेकिन हकीकत में ये सब फर्जी था। दिल्ली पुलिस की FIR से शुरू हुई जांच में ED को पता चला कि यूनिवर्सिटी ने स्टूडेंट्स को भ्रमित करके न सिर्फ एडमिशन लिए, बल्कि मोटी फीस भी वसूली। ये पैसा एजुकेशनल रेवेन्यू के नाम पर दिखाया जाता था, लेकिन असल में धोखाधड़ी से कमाया गया। ED की रिमांड नोट में साफ लिखा है कि यूनिवर्सिटी ने छात्रों के भविष्य, उनके विश्वास और सपनों के साथ खिलवाड़ किया। Edited by : Sudhir Sharma