न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के निदान के लिए नई तकनीक

Webdunia
शनिवार, 8 मई 2021 (09:45 IST)
नई दिल्ली, हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग मस्तिष्क होता है। हमारा मस्तिष्क शरीर के हर भाग को अपने नियंत्रण में रखता है।

एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग तीन करोड़ लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से पीड़ित हैं। इनमें मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंस डिजीज़, मस्तिष्क आघात जैसे रोग शामिल हैं। भारत ने न्यूरोसर्जिकल समस्याओं के निदान और उसके उपचार में काफी प्रगति की है। ऐसे में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी का शोध न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के निदान को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है, जिसकी मदद से स्ट्रोक जैसी मस्तिष्क की बीमारियों में नसों की कार्यप्रणाली और मस्तिष्क के रक्त प्रवाह में बदलाव का अध्ययन करना आसान हो जाएगा।

इस तकनीक से मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त हिस्सों का पता लगाने और साथ ही उसे वर्गीकृत करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, यह जानने में भी मदद मिलेगी कि यह समस्याएं न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से उत्पन्न हुई हैं या फिर किसी अन्य बीमारी के कारण।

आईआईटी मंडी के शोध का आधार यह तथ्य है कि न्यूरॉन्स और न्यूरोवास्कुलर कपलिंग (एनवीसी) के बीच जटिल परस्पर प्रतिक्रियाएं होती हैं, जिससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह नियंत्रित होता है। स्ट्रोक जैसी बीमारियों का एनवीसी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिनमें नसों के इम्पल्स रक्त प्रवाह का संचार नहीं कर पाते हैं। इसलिए, एनवीसी का समय से पता लगाना ऐसी बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।

आईआईटी मंडी के कम्प्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और इस शोध से जुड़े डॉ शुभजीत रॉय चौधरी ने कहा है "इस विधि में इलेक्ट्रोड के जरिये मस्तिष्क में गैर-हानिकारक विद्युत प्रवाह किया जाता है और नसों की प्रतिक्रिया और रक्त प्रवाह के संदर्भ में मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं को एक साथ इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) और नियर-इन्फ्ररेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनआईआरएस) की मदद से मापा जाता है।" हालांकि, ईईजी और एनआईआरएस का पहले से ही अलग-अलग उपयोग हो रहा है, पर आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित प्रोटोटाइप ने उन्हें जोड़कर एकल उपचार इकाई बना दी है, ताकि एनवीसी की अधिक सटीक जानकारी मिल सके।

इससे न्यूरोलॉजिकल रोगों की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही, इससे मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त जगह का पता चलेगा, जो क्षतिग्रस्त जगह के बेहतर उपचार में मददगार सिद्ध होगा।

डॉ शुभजीत रॉय चौधरी ने बताया है कि नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार का निर्णय लेना आसान होगा।’’ यह डिवाइस पार्किंसंस जैसी बीमारियों के बढ़ने की गति समझने में भी मदद करेगा और वस्तुतः लक्षण प्रकट होने से पहले इन बीमारियों के होने का पूर्वानुमान भी दे सकता है।

शोधकर्ताओ की टीम में कम्प्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शुभजीत रॉय चौधरी और उनके साथ कोलकाता के न्यूरोलॉजिस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस के डॉ अभिजीत दास और अमेरिका के बफलो विश्वविद्यालय के रेस्टोरेटिव न्यूरोरिहैबलिटेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग से डॉ अनिर्बन दत्ता इस शोध में शामिल हैं।

आईआईटी मंडी के नेतृत्व में किए गए इस शोध के परिणाम आईईईई जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं को इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट मिला है। (इंडिया साइंस वायर)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Exit Poll : वोटिंग खत्म होने के बाद RSS मुख्यालय पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, मोहन भागवत से की मुलाकात

Exit Poll 2024 : झारखंड में खिलेगा कमल या फिर एक बार सोरेन सरकार

महाराष्ट्र में महायुति या एमवीए? Exit Poll के बाद बढ़ा असमंजस

महाराष्‍ट्र बिटकॉइन मामले में एक्शन में ईडी, गौरव मेहता के ठिकानों पर छापेमारी

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

सभी देखें

नवीनतम

दिल्ली में दिखी छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की झलक, सशक्त भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका

अब Delhi-NCR में भी बिकेंगे नंदिनी के ये उत्‍पाद

LIVE: अडाणी को बड़ा झटका, केन्या ने रद्द किया 700 मिलियन डॉलर का करार

Manipur Violence : मणिपुर के हालात को लेकर कांग्रेस ने किया यह दावा

Adani Group की कंपनियों को भारी नुकसान, Market Cap में आई 2.19 लाख करोड़ की गिरावट

अगला लेख