नई दिल्ली। मौसम विभाग ने बुधवार को कहा कि लू का सामना कर रहे उत्तर भारत के मैदानी इलाकों को अगले 2 दिन में कुछ राहत मिलेगी, क्योंकि तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आने की संभावना है।इसने कहा कि राहत हालांकि कुछ समय के लिए ही होगी और मैदानी इलाकों में 3 अप्रैल से फिर लू चलने की आशंका है।
पिछले चार-पांच दिन में देश के कई हिस्सों में, खासकर राजस्थान में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच चुका है। राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को भीषण लू चली, क्योंकि तापमान 40.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे 76 साल में मार्च का यह सबसे गर्म दिन साबित हुआ।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि गुजरात से हरियाणा तक क्षेत्रों के बीच दबाव भिन्नता रही। इसके अलावा राजस्थान से भी गर्मी स्थानांतरित हुई जो पहले से ही लू का सामना कर रहा था।
मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं लू विशेषज्ञ नरेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान से भी गर्मी स्थानांतरित हुई और पाकिस्तान के एक मौसम केंद्र में इसी अवधि में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कुमार ने कहा कि एक पश्चिमी विक्षोभ भी था, लेकिन यह मैदानी इलाकों में नमी लेकर नहीं आया, इसलिए तापमान में वृद्धि हुई।
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा, अगले दो दिन में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में तापमान में तीन से पांच डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट की संभावना है, जिससे आज (31 मार्च) से राजस्थान को लू से राहत मिलने की संभावना है।
इसने कहा कि 31 मार्च से एक अप्रैल तक राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में धूलभरी हवाएं (30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से) चलने की संभावना है।
दिल्ली में 2010 के बाद से मार्च रहा सबसे गर्म महीना
मौसम विभाग ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में मार्च में इस महीने अधिकतम औसत तापमान 33.1 डिग्री सेल्सियस रहा जिससे यह पिछले 11 साल का सबसे गर्ममहीना बन गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दिल्ली में मार्च के महीने में आम तौर पर औसत अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री सेल्सियस रहता है।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि 2010 के बाद से इस साल मार्च में सर्वाधिक औसत अधिकतम तापमान रहा। उन्होंने कहा कि 2010 में मार्च के महीने में अधिकतम औसत तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस था। अधिकारी ने कहा कि इस साल मार्च में अधिक तापमान की वजह मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति हो सकती है।