नई दिल्ली। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने अत्याधुनिक हथियारों और प्रौद्योगिकी से लैस देश में ही बने पनडुब्बी रोधी घातक युद्धपोत आईएनएस किलटन को सोमवार को नौसेना के बेड़े में शामिल किया, जिससे नौसेना की मारक क्षमता बढ़ गई है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा तथा कई अन्य गणमान्य लोगों की मौजूदगी में रक्षामंत्री ने विशाखापत्तनम स्थित नौसैनिक बंदरगाह में आयोजित समारोह में पनडुब्बियों को मार गिराने में सक्षम कामोर्ता श्रेणी का यह युद्धपोत नौसेना को सौंपा। इसका डिजाइन खुद नौसेना ने ही तैयार किया है और निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर एंड इंजीनियर्स लिमिटेड ने किया है।
क्या है आईएनएस किलटन की खासियत
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देश में बनाया गया अब तक का सबसे अधिक मारक क्षमता वाला युद्धपोत है।
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परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के हालातों में भी दुश्मन के छक्के छुड़ाने में सक्षम।
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पनडुब्बी रोधी प्रणाली।
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भारी भरकम तारपीडो, रॉकेटों, मध्यम दूरी की 76 एमएम तोप और दो मल्टी बैरल 30 एमएम तोप प्रणाली से लैस।
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मिसाइल हमलों से निपटने के लिए स्वदेशी रॉकेट 'कवच' से लैस।
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स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट प्रणाली से दुश्मन के ट्रांसमिशन और उपकरणों का पता लगाने में भी सक्षम।
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अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली। अत्याधुनिक हथियारों के साथ साथ सेंसर प्रणाली से भी लैस है।
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आईएनएस किलटन की लंबाई 109 मीटर, चौड़ाई 14 मीटर तथा वजन 3300 टन है।
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डीजल ईंधन के मिश्रण से चलने वाले इस युद्धपोत की गति 25 समुद्री मील है।
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इस पोत पर 180 नाविक और 15 अधिकारी तैनात रह सकते हैं।
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इसकी कमान कमांडर नौशाद अली खान को सौंपी गई है।
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युद्धपोत का नाम लक्षद्वीप समूह के एक द्वीप के नाम पर रखा गया है।