कश्मीर में नेताओं को छोड़ने का सिलसिला शुरू, बांड भरो और ले लो रिहाई

सुरेश डुग्गर
जम्मू। कश्मीर में 5 अगस्त से हिरासत में लिए गए कई नेताओं को सशर्त रिहा करने का सिलसिला आरंभ हो गया है। रिहाई के लिए उन्हें जो बांड भर कर हस्ताक्षर करके देने पड़ रहे हैं उनके मुताबिक, वे किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि में संलिप्त पाए गए तो पुनः अंदर कर दिए जाएंगे।

हिरासत में लिए गए अलगाववादियों तथा नेताओं को सरकार ने बांड पर रिहा करने का फैसला किया है। इसके लिए उनसे बांड पर हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं। अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक समेत 7 नेताओं ने रिहाई के लिए बांड पर हस्ताक्षर किए हैं। पिछले 48 दिनों से अलगाववादियों तथा विभिन्न पार्टियों के नेताओं को हिरासत में रखा गया है। हिरासत में रखे गए नेताओं को प्रशासन ने बांड पर हस्ताक्षर करने की शर्त पर रिहाई की पेशकश की है।

पीडीपी के पूर्व मंत्री तथा पीपुल्स कॉन्‍फ्रेंस के नेता इमरान अंसारी, पीडीपी नेता खुर्शीद आलम और नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के सैयद आखून को शुक्रवार को रिहा किया गया था। इन नेताओं को राज्य के अन्य राजनीतिक बंदियों के साथ संतूर होटल में रखा गया था। आखून को स्वास्थ्य आधार पर छोड़ा गया, जबकि आलम को उनके भाई के निधन के कारण अस्थाई तौर पर रिहा किया गया। अंसारी को उपचार कराने के लिए छोड़ा गया, जो इस सिलसिले में नई दिल्ली रवाना हो गए।

उन्हें मोहर्रम के पहले उनके आवास से संतूर होटल में स्थानांतरित किया गया था। अंसारी राज्य में महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरने के बाद उनके नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने वाले पहले पीडीपी नेता थे। 2014 के चुनाव में पट्टन विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे।

सूत्रों के अनुसार मीरवाइज उमर फारूक के अलावा नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के 2, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कॉन्‍फ्रेंस के एक-एक नेता और दो अन्य ने बांड पर हस्ताक्षर किए हैं। वे हिरासत में लिए गए उन 36 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें संतूर होटल में रखा गया है।
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प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि बांड पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा हुए लोगों को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने की इजाजत नहीं होगी जो दस्तावेज में निषिद्ध बताए गए हैं। खासकर राजनीतिक गतिविधि। जो भी प्रावधान का उल्लंघन करेगा उसे फिर से हिरासत में ले लिया जाएगा।

बताया जाता हे कि पीपुल्स कॉन्‍फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन, पीडीपी युवा विंग के नेता वाहिद पार्रे और नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल ने बांड पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि बांड पर रिहाई उनके किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने पर रोक लगाता है।
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पूर्व मुख्यमंत्री तथा श्रीनगर से नेकां सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला को पीएसए के तहत गिरफ्तार रखा गया है। सोमवार को गिरफ्तार के बाद उनके गुपकार रोड स्थित आवास को अस्थाई जेल घोषित कर दिया गया है। अनुमान के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती समेत 4 हजार से अधिक नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओं और वकीलों को हिरासत में रखा गया है। नेकां नेता अली मोहम्मद सागर समेत लगभग 100 लोगों को राज्य के बाहर की जेलों में भेजा गया है।

डॉ. फारूक अब्दुल्ला के प्रति प्रशासन का कहना है कि वे देश के खिलाफ लोगों को लामबंद करने और घाटी में सार्वजनिक रूप से अव्यवस्था पैदा करने की जबरदस्त क्षमता वाले बयान सूचीबद्ध आरोपों में शामिल हैं। उन पर अपने भाषणों में आतंकियों और अलगाववादियों का महिमा मंडन का भी आरोप लगाया गया है। वह 5 अगस्त से अपने घर में ही नजरबंद थे। पीएसए के प्रावधानों के तहत 3 से 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है।

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