जम्मू का वोटर बनने को बस एक साल की रिहाईश काफी, कश्मीर में ऐसा नहीं, मचा बवाल

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 12 अक्टूबर 2022 (15:44 IST)
जम्मू। जम्मू में प्रशासन के उस आदेश को लेकर जबरदस्त बवाल मचा हुआ है जिसमें प्रवासी नागरिकों को जम्मू की मतदाता सूचियों में नाम लिखवा वोटर बनने के लिए सिर्फ एक साल की रिहाईश की शर्त को पूरा करने होगा। नतीजतन इसका जम्मू में जमकर विरोध हो रहा है और जबरदस्त बवाल मचा हुआ है।
 
दरअसल जम्मू जिला प्रशासन की ओर से नए वोटरों के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद से सियासी बवाल मच गया है। नए आदेश अनुसार जम्मू जिले में एक साल से रह रहे गैर स्थानीय लोगों के लिए मतदाता सूची तक की राह आसान हो गई है।
 
नए आदेश के मुताबिक, जम्मू जिले में जो भी शख्स एक साल से अधिक समय से रह रहा है, वह अपना नाम वोटर लिस्ट में डलवा सकता है। अधिसूचना में कहा गया है कि नया मतदाता बनाने के लिए जरूरी कागजात जैसे पिछले एक साल का गैस, बिजली और पानी कनेक्शन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक और जमीन के कागजात से अपना नाम रजिस्टर्ड करवाया जा सकता है।
 
इस फैसले का विरोध करने में वालों में नेशनल कांफ्रेंस भी शामिल हो चुकी है। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार जम्मू कश्मीर की वोटर लिस्ट में 25 लाख नए वोटरों को जोड़ने की कवायद कर रही है। नेकां के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने लिखा कि पार्टी सरकार के इस कदम का विरोध करती है। बयान में आगे कहा गया है कि भाजपा चुनावों से डरती है और जानती है कि वह बुरी तरह हार जाएगी।
 
जानकारी के लिए जम्मू की उपायुक्त अवनी लवासा ने कल देर रात को बड़ा ऐलान करते हुए आदेश दिया कि जम्मू में जो भी शख्स एक साल से अधिक समय से रह रहा है, उसे नए वोटर के रूप में रजिस्टर किया जाए। उनके इस फैसले के बाद अगर कोई बाहरी व्यक्ति भी एक साल से अधिक समय तक जम्मू में रहता है तो उसे वोटिंग का अधिकार मिल जाएगा।
 
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस आदेश पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि भाजपा जम्मू और कश्मीर प्रांत के बीच क्षेत्रीय व सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहती है। हमें उसकी इस साजिश को विफल करना है। कश्मीरी हो या डोगरा, हम सभी को मिलकर अपनी पहचान और अधिकारों का संरक्षण करना है। यह तभी संभव होगा जब हम सभी एकजुट रहें। उन्होंने कहा कि हम पहले ही कह चुके हैं कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर और इसके निवासियों की पहचान को हमेशा के लिए मिटा देना चाहती है।
 
चुनाव आयोग ने नए मतदाताओं के पंजीकरण के लिए जो आदेश जारी किया है, वह साबित करता है कि जम्मू कश्मीर को कालोनी बनाने और बाहरी लोगों को जम्मू कश्मीर में बसाने की योजना पर भारत सरकार ने काम शुरु कर दिया है। इस योजना की शुरुआत जम्मू से हो रही है। पहला हमला डोगरा संस्कृति और पहचान, जम्मू के लोगों के रोजगार और कारोबार पर होगा।
 
यह मुद्दा पहली बार अगस्त में तब सामने आया था जब तत्कालीन मुख्य चुनाव अधिकारी हृरदेश कुमार ने कहा कि मतदाता सूची के विशेष संशोधन के बाद जम्मू कश्मीर को बाहरी लोगों सहित लगभग 25 लाख अतिरिक्त मतदाता मिलने की संभावना है। भाजपा को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इसका कड़ा विरोध किया।
 
गैर-स्थानीय लोगों को मतदाता के रूप में शामिल करने और विरोध करने के लिए लोग सड़कों पर उतरे थे।
हालांकि, प्रशासन ने बाद में स्पष्ट किया कि निर्वाचक नामावली का यह संशोधन केंद्र शासित प्रदेश जम्मू व कश्मीर के मौजूदा निवासियों को कवर करेगा और संख्या में वृद्धि उन मतदाताओं की होगी जिन्होंने 1 अक्तूबर, 2022 तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है, या जल्दी। और अब ताजा आदेश ने सरकार के इरादों की पोल खोल दी है।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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