कश्मीर में फिर 'ऑपरेशन मां' की जरूरत

आतंक की राह पर गए बेटे की वापसी को तड़प रही एक मां

सुरेश एस डुग्गर
जम्मू। कश्मीर में सेना ने 'ऑपरेशन मां' का रुख मोड़कर अब इस मुहिम में उन युवकों की तलाश को भी शामिल कर लिया है जो घर से लापता हैं और जिनके प्रति आशंका है कि वे आतंकवाद की राह पर निकल गए हैं। अभी तक 'ऑपरेशन मां' के तहत, मुठभेड़ के दौरान जब स्थानीय आतंकी पूरी तरह घिर जाते हैं तो उनकी मां या परिवार के अन्य बड़े सदस्यों या समुदाय के प्रभावी लोगों को उनसे बात करने का अवसर दिया जाता था। इस दौरान वे युवकों को आतंक का रास्ता छोड़कर सामान्य जीवन में लौटने के लिए समझाते हैं। मुठभेड़ को बीच में रोक दिया जाता है। दरअसल इस नीति में बदलाव एक मां की पुकार पर लाया गया है जो आतंकी की राह पर जा चुके अपने बेटे की वापसी को तड़प रही है।

आतंकवाद की राह पर गए अपने बेटे की सही-वापसी के लिए कश्मीर की एक मां दर-दर भटक रही है। बस एक ही रट लगाए है कि उसका बेटा घर लौट आए। हर जगह से आस टूटती देख अब उसने सोशल मीडिया का सहारा लिया है। उसने दिल से निकली टूटती आस का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया है। इसमें वह पुत्र को अपने घर और खुद की हालत की दुहाई देते हुए बार-बार लौटने को कह रही है।

वह इस्लाम का वास्ता देते हुए आतंकियों से कह रही है कि उसके बेटे को घर भेज दो अन्यथा हम तबाह हो जाएंगे। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले के काकपोरा के रहने वाले आदिल की मां और बहन का है। आदिल 19 मार्च को घर से गायब हो गया था। उसके परिजनों ने पुलिस को सूचित किया। हर जगह तलाशा, लेकिन वह नहीं मिला। पहली अप्रैल को पता चला कि वह आतंकी बन चुका है। आदिल की मां ने कहा कि मैं अपने बेटे को तलाशते हुए हर जगह गई। मैंने लॉकडाउन की भी परवाह नहीं की।

आदिल की मां के मुताबिक वह घर से शाम की नमाज अता करने के लिए निकला था, फिर नहीं लौटा। वह कहती है कि उसे कोई समझाए कि वह ऐसा न करे, मां को तकलीफ देना बहुत बड़ा गुनाह है। वह लौट आए। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि दक्षिण कश्मीर में बीते तीन माह के दौरान सात स्थानीय युवकों के आतंकी बनने की सूचनाएं हैं। अलबत्ता, पुलिस इस बारे में कुछ भी कहने से बच रही है।

याद रहे पिछले साल नवंबर महीने में सेना की चिनार कोर ने 'ऑपरेशन मां' शुरू किया था। इस 'ऑपरेशन' में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।

सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। पिछले साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाना बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।

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