khushboo patni on aniruddhacharya controversial statement on woman: हाल ही में, प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लड़कियों पर दिए गए एक विवादित बयान ने ऐसी ही एक बहस को जन्म दिया, जिस पर अभिनेत्री दिशा पाटनी की बहन और पूर्व आर्मी मेजर खुशबू पाटनी ने तीखा पलटवार किया है। खुशबू ने न केवल अनिरुद्धाचार्य के बयान को 'महिला विरोधी' और 'समाज विरोधी' बताया, बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप पर भी अपने विचार खुलकर रखे, जिससे यह मुद्दा और भी गरमा गया।
क्या था अनिरुद्धाचार्य का विवादित बयान?
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने अपने एक बयान में कथित तौर पर कहा था कि "आजकल लड़कियां 25 साल की उम्र में शादी करती हैं, और तब तक वे 'चार जगह मुंह मार चुकी होती हैं'।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि लड़कियों की शादी 14 साल की उम्र में ही कर देनी चाहिए ताकि वे 'सेटल' हो जाएं। इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भारी बवाल मचा, और कई महिला संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाद में अनिरुद्धाचार्य ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य महिलाओं का अपमान करना नहीं था और उनके वीडियो से कुछ शब्द हटा दिए गए थे, जिससे गलतफहमी हुई।
खुशबू पाटनी ने अनिरुद्धाचार्य को बताया 'पाखंडी और महिला विरोधी'
अनिरुद्धाचार्य के इस बयान पर खुशबू पाटनी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। खुशबू, जो खुद भारतीय सेना में मेजर रह चुकी हैं और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखती हैं, ने कथावाचक को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग 'पाखंडी' और 'महिला विरोधी' होने के साथ-साथ 'समाज विरोधी' भी हैं। खुशबू ने सवाल उठाया कि "लड़कियों को मुंह मारने के लिए कोस रहे हैं, क्या इन्होंने कभी लड़कों से ऐसे सवाल पूछने की हिम्मत की है?" उनका यह बयान समाज के उस दोगलेपन पर सीधा प्रहार था, जहां एक ही गलती के लिए महिलाओं को कटघरे में खड़ा किया जाता है, जबकि पुरुषों को अक्सर छोड़ दिया जाता है।
खुशबू पाटनी का यह सवाल बहुत प्रासंगिक है, क्योंकि भारतीय समाज में अक्सर महिलाओं के चरित्र और व्यवहार पर अधिक सवाल उठाए जाते हैं, जबकि पुरुषों के लिए ऐसे मानदंड लागू नहीं होते। यह लैंगिक असमानता की एक गहरी जड़ है, जिसे खुशबू ने अपनी बात से उजागर किया।
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पूर्व मेजर और दिशा पटानी की बहन खुशबू पटानी ने जमकर पेLA पाखंडी अनिरुद्धचार्य को
इस पाखंडी का संपूर्ण समाज से बहिष्कार होना चाहिए यह महिला विरोधी नीचे पुरुष है मानसिक रोगी pic.twitter.com/QBb8Rw8yFP
खुशबू पाटनी ने लिव-इन रिलेशनशिप पर भी अपने विचार रखते हुए सवाल किया कि "इसमें क्या बुराई है?" उन्होंने तर्क दिया कि "पूरी ज़िंदगी बर्बाद करने से अच्छा है कि आप शादी से पहले ही समझ लो कि आपका पार्टनर आपके लिए सही मैच है या नहीं।"
भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानूनी मान्यता दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि लिव-इन संबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आते हैं और अपराधी नहीं हैं। खुशबू पाटनी का बयान इस सामाजिक रूढ़िवादिता को चुनौती देता है और विवाह से पहले compatibility की परख पर जोर देता है।